सामान्य ज्ञान

24 वां संविधान संशोधन
28-Jun-2020 11:42 AM
24 वां संविधान संशोधन

भारतीय संविधान (24 वां संशोधन) अधिनियम 1971- उच्चतम न्यायालय ने गोलकनाथ मुकदमे (1967, 2 एस.सी.आर. 7620 में  अपने उन पूर्ववर्ती निर्णयों को उलट दिया था जिनमें संसद की इस शक्ति को स्वीकार किया गया था कि वह संशोधन के मूल अधिकारों संबंधी भाग 3 सहित सभी भागों में अनुच्छेद 368 के अनुसार संशोधन कर सकती है।  इन निर्णय के बाद संसद को संविधान के भाग 3 में दिए गए मूल अधिकारों में कमी आती हो अथवा उनका हरण होता हो, यदि राज्य के नीति के निदेशक तत्वों अथवा संविधान की प्रस्तावना के आदर्शों को व्यावहारिक रुप देने के लिए मूल अधिकारों में संशोधन अथवा कमी करने की आवश्यकता हो, तब भी संसद इस विषय में कुछ नहीं कर सकती थी। इसलिए संसद को यह शक्ति देना आवश्यक समझा गया कि वह अपनी संविधान संशोधनकारी शक्ति के अंतर्गत संशोधन किसी भी उपबंध में जिनमें भाग 3 के उपबंध भी शामिल हैं, संशोधन कर सकती है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार अनुच्छेद 368 में संशोधन की शक्ति नहीं दी गई थी, केवल उसकी प्रक्रिया ही दी गई थी।

संविधान के 24 वें संशोधन अधिनियम अनुच्छेद 368 में संशोधन करके यह स्पष्टï कर दिया गया कि अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन की शक्ति भी प्रदान करता है और उस संशोधन की प्रक्रिया का निर्देश भी रखता है। चौबीसवें संशोधन ने यह भी स्पष्टï कर दिया कि जब संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित किसी संविधान संशोधन विधेयक को राष्टï्रपति के सम्मुख रखा जाएगा, तब वे उस पर अपनी स्वीकृति देने से मना नहीं करेंगे।

 

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