सामान्य ज्ञान
पराक्रमबाहु प्रथम को महान पराक्रमबाहु भी कहते हैं। (जन्म-लगभग 1123, पुनखागमा, सीलोन (वर्तमान श्रीलंका), मृत्यु-1186 पोल्लन्नरूवा)। पराक्रमबाहु सीलोन के सिंहली राजा (1153-86) थे, जिन्होंने समूचे द्वीप के एक शासन के तहत संगठित किया। बौद्घ रीति-रिवाजों में सुधार लाए और भारत तथा बर्मा (वर्तमान म्यांमार) में सफल सैनिक अभियान किए।
पराक्रमबाहु के पिता मानभरण (सीलोन के चार क्षेत्रीय प्रशासकों में से एक), जिन्होंने दक्षिणी भाग पर शासन किया। पराक्रम के बचपन में ही उनके पिता मृत्यु को प्राप्त हो गए। पराक्रम ने अपने पिता के उत्तराधिकारी और सीलोन के वास्तविक शासक श्रीमेघ से गद्दी पाई, लेकिन वह कई युद्घों और विद्रोहों को दबाने के बाद ही सत्ता की बागडोर संभाल सके।
पराक्रम ने 12 प्रांतपतियों, राजकुमारों, सेनापतियों और प्रमुख व्यापारियों को साथ लेकर सरकार की रचना की। उन्होंने लापरवाह बौद्घ भिक्षुओं को हटाया और मंदिरों का निर्माण कर बौद्घ प्रतिष्ठïानों में सुधार किया। उन्होंने हिंदुओं को भी आराधना की स्वतंत्रता दे रखी थी।