सामान्य ज्ञान
ब्रह्मपुत्र बोर्ड का गठन दिसंबर, 1981 में ब्रह्मपुत्र घाटी में बाढ़ प्रबंधन और तटीय क्षरण के उपायों के नियोजन और कार्यान्वयन के लिए किया गया था। पूर्वोत्तर क्षेत्र में योजनाओं/परियोजनाओं के कार्यान्वयन के अलावा बोर्ड की मुख्य गतिविधियों में ब्रह्मपुत्र और बराक घाटी में बहुउद्देशीय परियोजनाओं के मास्टर प्लान तैयार करना और अन्वेषण करना है। बोर्ड ने पूर्वोत्तर में पांच परियोजना रिपोर्टों का काम पूरा कर लिया है। भारत सरकार द्वारा स्वीकृत किए गए 41 मास्टर प्लानों का काम पूरा किया जा चुका है और क्रियान्वयन के लिए उन्हें संबंधित राज्यों को अग्रेषित किया जा गया है। अन्य 3 योजनाओं को भी बोर्ड की स्वीकृत मिल चुकी है। ब्रह्मपुत्र बोर्ड द्वारा तैयार की जा रही अन्य 13 योजनाएं तैयारी के विभिन्न चरणों में हैं।
बोर्ड ने डोलाहाटीधुली में ब्रह्मपुत्र के विदारण का कार्य और उत्तरपूर्वी क्षेत्र में क्षरणरोधी और ड्रेनेज विकास स्कीमों को हाथ में लिया है। असम में माजुली द्वीप के संरक्षण के लिए क्षरणरोधी उपाय भी शामिल किए जा रहे हैं। नागरिजुली द्वारा रंगिया कस्बे और मुकामुआ/बोरभाग में अपरदन रोकने तथा असम में पुथीमारी नदी द्वारा किए जाने वाले अपरदन के लिए भी यह बोर्ड काम कर रहा है। हरंग, बोरभाग, अमजुर, सिंगला, जंगराई, जकाईचुक तथा पूर्वी बरेपेटा में ड्रेनेज के विकास का कार्य भी प्रगति पर है।