सामान्य ज्ञान
हमारे यहां पर सफेद रंग का ही चावल होता है, लेकिन चीन जैसे अनेक देशों में काले रंग का चावल भी उगाया जाता है। प्राचीन चीन में इस काले चावल को इतना विशेष माना जाता था कि केवल राजसी लोग ही इसे खा सकते थे। इस चावल में एंथोसाइएनिन नामक तत्व पाया जाता है, जिसके कारण ही इसका रंग काला हो जाता है।
वैज्ञानिक आजकल इस काले चावल की खूबियों के दीवाने हो गए हैं। उनका कहना है कि इसमें मौजूद गुणों की वजह से यह कैंसर और दिल के रोगों से बचाव का बेहतरीन साधन है। एक्सपर्ट कहते हैं कि इस अनाज में शुगर काफी कम है, साथ ही इसके रेशे भी फायदेमंद हैं। इसके अलावा इसमें मौजूद एक तत्व कैंसर और दिल के रोगों से लड़ता है। अमेरिका की लूइजिय़ाना यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दक्षिणी अमेरिका में उगने वाले काले चावल के छिलके का विश्लेषण किया। इसमें उन्हें एक विशेष एंटीऑक्सिडेंट एंथोसाइएनिन मिला। यह पानी में घुलनशील है। एंथोसाइएनिन हानिकारक अणुओं की सफाई करता है, धमनियों की सफाई करता है और डीएनए की टूटफूट को रोकता है जिससे कैंसर होता है।
महज एक चम्मच काले चावल के छिलके में एक चम्मच ब्लू बैरीज से ज्यादा एंथोसाइएनिन होता है। इसके अलावा यह कम चीनी, ज्यादा फाइबर और विटामिन ई एंटीऑक्सिडेंट वाला भी होता है। जब बैरी हमारी सेहत के लिए फायदेमंद मानी जाती हैं तो काला चावल और उसका छिलका क्यों नहीं वैसे भी यह काफी सस्ता भी है।
आज काला चावल मुख्यत: एशिया में नूडल्स, सुशी और मीठे व्यंजनों में सजावट के लिए डाला जाता है। फूड मैन्यूफैक्चरर इसका इस्तेमाल नाश्ते, पेय पदार्थों, केक, बिस्कुट और दूसरे स्वास्थ्य वर्धक पेय बनाने में कर सकते हैं।