सामान्य ज्ञान
तुर्की के बेहद मशहूर और करीब 500 किलोमीटर की लंबाई में फैले लायकन वे पर स्थित है बटरफ़्लाई वैली। लायकन वे दक्षिण तुर्की का समुद्रतटीय इलाका है। इसमें ही करीब 86 हजार वर्ग मीटर के दायरे में फैली है बटरफ़्लाई वैली। नाम से जाहिर है, यह तितलियों की घाटी है। यहां करीब एक सौ प्रजाति की रंग-बिरंगी तितलियां पाई जाती हैं। इनमें नारंगी, काली और सफेद बाघ जैसे रंगों वाली तितलियां भी शामिल हैं।
इस वैली तक केवल पानी के रास्ते पहुंचा जा सकता है। यहां पर भूमध्य सागर में दूर डूबता हुआ सूर्य किसी लालमणि की तरह चमकता नजर आता है। बटरफ़्लाई वैली में 350 मीटर की ऊंचाई से एक झरना भी गिरता है, जो बाद में एक शांत नदी का रूप ले लेता था। इससे ही इलाके में लैवेंडर के फूल वाले पौधों और चेस्ट (नीले और सफेद फूल देने वाली यूरोपिय झाड़ी) को पानी मिलता है। यही झाड़ी तितलियों के प्राकृतिक निवास है। तुर्की की सरकार ने 1987 में इस वैली को संरक्षित इलाका घोषित कर दिया था ताकि तितलियों और स्थानीय वनस्पतियों को संरक्षित रखा जाए। बटरफ़्लाई वैली से महज पांच किलोमीटर उत्तर में स्थित द्वीप है ओलूडेनिज़। यहां पहुंचने वाली पर्यटकों की भारी भीड़ ने इस द्वीप के प्राकृतिक संसाधनों को काफी नुकसान पहुंचाया है।
ओलूडेनिज़ का मतलब नीली खाड़ी होता है। यह द्वीप कभी दुनिया से पूरी तरह कटा हुआ था लेकिन 1980 के दशक में यहां पर्यटकों का पहुंचना शुरू हुआ। मौजूदा समय में पर्यटकों के चलते प्राकृतिक खूबसूरती के नष्ट होने का उदाहरण बन चुका है। पूरा द्वीप नियोन की रंग बिरगी और अंग्रेजी रेस्टोरेंट से भरा हुआ नजऱ आता है। समुद्री तटों पर समुद्री लुटेरों के जहाज़ और शराब से भरे क्रूज दिखते हैं। इनके अलावा समुद्री तटों पर नशे में झूमते टूरिस्ट और पैरा-ग्लाइडिंग के चलते धुएं से भरा आसमान नजऱ आता है।
बटरफ़्लाई वैली के साथ ऐसा नहीं हुआ। पहले अनातोलिया टूरिज़्म डेवलपमेंट कोऑपरेटिव ने स्थानीय गांव वालों से ये घाटी 1981 में खऱीदी और 1984 में इसे पर्यटन के लिए खोल दिया। तीन साल के बाद तुर्की सरकार ने इसे राष्ट्रीय संरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया। इस फ़ैसले के साथ ही इलाके में स्थायी निर्माण गैर-कानूनी हो गया। मौजूदा समय में यहां केवल टेंट और अस्थायी घर बनाने की इजाज़त है। इसके अलावा यहां की प्राकृतिक वनस्पतियों का व्यवसायिक उत्पादन शुरू नहीं किया गया है। जैतून, अनार, नींबू, संतरा, अखरोट, आड़ू, खुबानी, पॉम, ओलियंडर और लॉरेल जैसे फल यहां उगते हैं। प्राकृतिक तौर पर बेहद सुंदर इस द्वीप पर भी साल के आठ महीनों में अप्रैल और नवंबर के बीच में पर्यटकों का समूह पहुंचता है। यहां बिजली उपलब्ध नहीं है। बिजली केवल और केवल रात में खाने की सार्वजनिक जगह पर उपलब्ध होती है, हर किसी को यहीं खाना खाना होता है।