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कोरोना: रेमडेसिवियर की भारत में क्यों हो रही है क़िल्लत?
02-Jul-2020 7:01 PM
कोरोना: रेमडेसिवियर की भारत में क्यों हो रही है क़िल्लत?

कोविड-19 का इलाज पूरी दुनिया में नहीं है ये हम सब जानते हैं. भारत सरकार ने इमरजेंसी और सीमित इस्तेमाल के लिए कुछ दवाओं को इजाज़त दी है. ये बात भी हम सब जानते हैं. 

ऐसी दवाओं की लिस्ट में एक नाम रेमडेसिवियर ड्रग का है - मुमकिन है कि ये बात भी आपको पता हो. 

लेकिन आप शायद ये नहीं जानते होंगे कि अगर इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए आपको रेमडेसिवियर दवा चाहिए तो आसानी से नहीं मिल सकती. केन्द्र सरकार के अस्पताल आरएमएल में तो कम से कम ये दवा उपलब्ध नहीं है. कई मीडिया रिपोर्ट में  मुबंई, कर्नाटक, तमिललाडु से भी इस दवा की क़िल्लत की ख़बरें आ रही हैं. 

आरएमएल अस्पताल के बाहर किसी भी दवा की दुकान पर रेमडेसिवियर उपलब्ध नहीं हैं. 

लेकिन आपकी पहुँच अगर दवा के बड़े व्यापारियों तक है, तब आपको ये दवा मिल सकती है. पर उसके लिए दिल्ली जैसे शहर में आपको दोगुने पैसे ख़र्च करने पड़ सकते हैं. अब तक आपने जो पढ़ा ये ख़बर कम और आपबीती ज़्यादा है. 

और यही आपबीती इस खब़र का असली स्रोत है. इसी ख़बर की तफ़्तीश में जो बातें पता चलीं, कोरोना के दौर में वो जानना आपके लिए भी शायद ज़रूरी है. और यही आपबीती इस खब़र का असली स्रोत है. इसी ख़बर की तफ़्तीश में जो बातें पता चलीं, कोरोना के दौर में वो जानना आपके लिए भी शायद ज़रूरी है.

दिल्ली के कोविड अस्पताल का हाल

मैंने शुरुआत दिल्ली में केन्द्र सरकार के अधीन आने वाले अस्पताल आरएमएल से की. अपने परिचित के कोविड-19 इलाज के लिए इसी अस्पताल के डॉक्टर ने अपनी पर्ची पर रेमडेसिवियर दवा का नाम लिखा और घरवालों से तुंरत इसे मँगवाने का आदेश दिया.

घरवालों ने जब अस्पताल से पूछा, तो पता चला उनके स्टॉक में वो दवा है ही नहीं. परिवार वाले नज़दीकी दवा दुकानों पर गए.

दो-चार दुकानों पर जब ख़ाली हाथ लौटाया गया तो, उन्होंने बड़े और थोक दवा विक्रेताओं से संपर्क किया. लगभग दो घंटे की छानबीन के बाद बात बनी, लेकिन छह डोज़ की जगह केवल दो डोज़ ही मिल पाया, और वो भी दोगुने दाम पर. 

भारत में रेमडेसिवियर दवा, 'कोविफ़ॉर' नाम से उपलब्ध है जो हेटेरो फ़ार्मा कंपनी बनाती है. एक और कंपनी सिप्ला को इसे बनाने की इजाज़त मिली है. कंपनी के मुताबिक़ इस दवा के एक डोज़ की क़ीमत है 5400 रुपये. लेकिन दिल्ली में ये कल तक मिल रही थी 10,500 रुपये में. 

यहाँ आपको ये जानना ज़रूरी है, कि रेमडेसिवियर एक एंटीवायरल दवा है जिसे अमरीका की गिलिएड कंपनी बनाती है. उन्हीं के पास इसका पेटेंट भी हैं.

भारत में इसके इमरजेंसी में सीमित इलाज में इस्तेमाल की इजाज़त मिली है. 

भारत में फ़ार्मा कंपनी हेटेरो को इस दवा को 'कोविफ़ॉर' नाम से बनाने की मंज़ूरी ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया की तरफ़ से मिली है. ऐसा उनका दावा है.

हेटेरो, जेनरिक दवा बनाने वाली कंपनी है, जो रेमडेसिवियर का जेनेरिक वर्जन दवा 'कोविफ़ॉर' भारत में 21 जून के बाद से बनाकर बेच रही है.

अब तक की खब़र पढ़ कर आपके मन में ज़रूर सवाल उठ रहा होगा कि कोविड 19 के इमरजेंसी इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा कोविड-19 के इलाज के नियुक्त सरकारी अस्पताल में उपलब्ध क्यों नहीं हैं?

यही सवाल मेरे मन में भी उठा. इसलिए मैंने आरएमएल से सम्पर्क किया. तीन अलग-अलग लोगों को फ़ोन करने के बाद हमारी बात हुई डॉक्टर पवन से.

डॉ. पवन रेस्पिरेट्री विभाग में हैं.

उन्होंने फ़ोन पर हमें बताया, "फ़िलहाल हम इस दवा को कोविड-19 के मरीज़ों को नहीं दे रहे हैं. कई जगहों पर इस दवा का ट्रायल चल रहा है. ये दवा कोविड-19 के इलाज के लिए कितनी कारगर है ये हमें नहीं पता. रेयरली इस दवा का इस्तेमाल दिल्ली के अंदर शुरू किया गया है. कुछ प्राइवेट अस्पतालों ने इसका इस्तेमाल शुरू ज़रूर किया है. सप्लाई के बारे में मैं आपको नहीं बता सकता. लेकिन नई ड्रग के इस्तेमाल में शुरूआत में दिक़्क़त तो आती ही है."

ये पूछे जाने पर कि क्या आरएमएल अस्पताल की तरफ़ से 'कोविफ़ॉर' बनाने वाली कंपनी को ऑडर भेजे गए हैं?

डॉ. पवन ने बताया कि उन्होंने किसी कंपनी को कॉन्टेक्ट नहीं किया है. फ़िलहाल आरएमएल में दूसरी दवाएँ हैं जो इमरजेंसी में मरीज़ों पर इस्तेमाल की जा रहीं हैं.

लेकिन हमें इस सवाल का जवाब नहीं मिल पाया कि फिर आरएमएल के दूसरे डॉक्टर ने मरीज़ के लिए रेमडेसिवियर लाने की बात पर्ची पर क्यों लिखी.

कारवां मैग्ज़ीन की रिपोर्ट के मुताबिक़ मुंबई में भी इस दवा की कालाबाज़ारी हो रही है. इकोनॉमिक टाइम्स की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक़ मुंबई में ये दवा शॉर्ट सप्लाई में है.


दवा के थोक व्यापारी

आरएमएल का पक्ष सुनने के बाद हमने सोचा कि ये पता लगाएँ कि आख़िर ये दवा मिलती कहाँ और कैसे है?

दिल्ली के भागीरथ पैलेस में दवाइयों का थोक में काम होता है.

हमने बात की दिल्ली ड्रग ट्रेडर एसोसिएशन के सचिव आशीष ग्रोवर से.

आशीष ने बताया कि ये दवाइयाँ आपको किसी मेडिकल स्टोर पर नहीं मिलेंगी.

उनके अनुसार, इस दवा के लिए नियम कड़े हैं. इसके लिए आपको डॉक्टर का लिखा हुआ पर्चा चाहिए और साथ में मरीज़ का आधार कार्ड लगाने की ज़रूरत पड़ती है. ये सभी चीज़ें अस्पताल के लेटर हेड पर लिखा हुआ हो, तो कंपनी की साइट पर अप लोड करे दें, तभी ये दवा आपको अस्पताल दे पाएगा.  ये दवा, कंपनी सीधे अस्पतालों को ही सप्लाई करती है. इसलिए बाज़ार में आपको खुले में नहीं मिलेगी. 

दवा के बारे में जानकारी हासिल करते समय हमें ट्विटर पर इस तरह के कई लोगों के पोस्ट मिले जो यही जानकारी खोज रहे थे.

हालाँकि आशीष ने माना कि दवा भारत में शार्ट सप्लाई में है. मार्केट में इसके दाम दोगुने हो गए हैं और इसलिए कंपनी ने ऐसी व्यवस्था की है. उन्होंने ये भी माना कि इस बारे में उन्होंने कंपनी को सम्पर्क किया था और कंपनी ने उन्हें ये प्रक्रिया बताई है. वो अपने यहाँ आने वाले हर मरीज़ के रिश्तेदार को यही सलाह देते हैं. 

आशीष ने एक और महत्वपूर्ण बात बताई. उनके मुताबिक़ पहले रेमडेसिवियर दवाई, भारत में बंग्लादेश से भी आ रही थी. उस वक़्त ऐसी कोई दिक़्क़त नहीं थी. लेकिन भारत में अब वो माल आना बंद हो गया है. अब यहीं पर कंपनी ये दवा बना रही है. ज़्यादा जानकारी कंपनी से माँगने की सलाह देकर आशीष ने अपनी बात ख़त्म की. दवा के थोक व्यापारी
आरएमएल का पक्ष सुनने के बाद हमने सोचा कि ये पता लगाएँ कि आख़िर ये दवा मिलती कहाँ और कैसे है?

दिल्ली के भागीरथ पैलेस में दवाइयों का थोक में काम होता है.

हमने बात की दिल्ली ड्रग ट्रेडर एसोसिएशन के सचिव आशीष ग्रोवर से.

आशीष ने बताया कि ये दवाइयाँ आपको किसी मेडिकल स्टोर पर नहीं मिलेंगी.

उनके अनुसार, इस दवा के लिए नियम कड़े हैं. इसके लिए आपको डॉक्टर का लिखा हुआ पर्चा चाहिए और साथ में मरीज़ का आधार कार्ड लगाने की ज़रूरत पड़ती है. ये सभी चीज़ें अस्पताल के लेटर हेड पर लिखा हुआ हो, तो कंपनी की साइट पर अप लोड करे दें, तभी ये दवा आपको अस्पताल दे पाएगा.  ये दवा, कंपनी सीधे अस्पतालों को ही सप्लाई करती है. इसलिए बाज़ार में आपको खुले में नहीं मिलेगी. 

दवा के बारे में जानकारी हासिल करते समय हमें ट्विटर पर इस तरह के कई लोगों के पोस्ट मिले जो यही जानकारी खोज रहे थे.

हालाँकि आशीष ने माना कि दवा भारत में शार्ट सप्लाई में है. मार्केट में इसके दाम दोगुने हो गए हैं और इसलिए कंपनी ने ऐसी व्यवस्था की है. उन्होंने ये भी माना कि इस बारे में उन्होंने कंपनी को सम्पर्क किया था और कंपनी ने उन्हें ये प्रक्रिया बताई है. वो अपने यहाँ आने वाले हर मरीज़ के रिश्तेदार को यही सलाह देते हैं. 

आशीष ने एक और महत्वपूर्ण बात बताई. उनके मुताबिक़ पहले रेमडेसिवियर दवाई, भारत में बंग्लादेश से भी आ रही थी. उस वक़्त ऐसी कोई दिक़्क़त नहीं थी. लेकिन भारत में अब वो माल आना बंद हो गया है. अब यहीं पर कंपनी ये दवा बना रही है. ज़्यादा जानकारी कंपनी से माँगने की सलाह देकर आशीष ने अपनी बात ख़त्म की. 

हेटेरो कंपनी का पक्ष

आशीष के सुझाव पर अमल करते हुए हमने भारत में रेमडेसिवियर बनाने वाली कंपनी हेटेरो से संपर्क किया. भारत में अब ये दवा कोविफ़ॉर नाम से बिक रही है.

हेटेरो कंपनी के पब्लिक रिलेशन विभाग ने बीबीसी के सवाल का जवाब ई-मेल के ज़रिए दिया है.

ई-मेल इंटरव्यू में कंपनी के कॉरपोरेट कम्युनिकेशन हेड जय सिंह बालाकृष्णन ने लिखा है - "दवा बाज़ार में दोगुने दाम पर मिल रही है और दवा की सप्लाई में कमी है - इन दोनों सवाल पर कंपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहती".क्या उनकी दवा मेडिकल स्टोर पर भी मिल सकती है? इस सवाल के जवाब में बालाकृष्णन ने लिखा कि फ़िलहाल ये दवा कंपनी सीधे सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को मुहैया करा रही है. केन्द्र सरकार के आदेशानुसार ये ड्रग रीटेल में नहीं बेची जा सकती. 

कंपनी ने अपने जवाब में ये भी बताया है कि कोरोना के सीवियर कैटेगरी के मरीज़ों में ही इसका इस्तेमाल क्रिटिकल केयर सेटिंग में मेडिकल प्रैक्टिशनर की निगरानी में केवल अस्पतालों में ही किया जा सकता है. जून के अंतिम सप्ताह में कंपनी को इसे बनाने की इजाज़त मिली है. कंपनी 20,000 वायल (डोज़) जल्द से जल्द उपलब्ध करा रही है. 10,000 डोज़ की पहली खेप दिल्ली, हैदराबाद, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात भेजी गई है और दूसरी खेप कोलकाता, लखनऊ, भोपाल, इंदोर जैसे शहरों के लिए तैयार की जा रही है. 

दवा का बांग्लादेश कनेक्शन 

रेमडेसिवियर दवा अमरीकी कंपनी गिविएड बनाती है और उसी के पास इसका पेटेंट है. हेटेरो कंपनी का दावा है कि उसने गिलिएड के साथ क़रार किया है और इसलिए उन्हें भारत के लिए इसे बनाने की इजाज़त मिली है. लेकिन भारत सरकार के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया ने बंग्लादेश से इसके आयात पर रोक लगा रखी है. दवा कंपनियों के मुताबिक़ गिलिएड ने बांग्लादेश से इस बारे में कोई आधिकारिक क़रार नहीं किया है. इसलिए भारत सरकार कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती. 

अमरीका ने ख़रीद ली है पूरी दवा 

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ अगले तीन महीने तक गिलिएड कंपनी जितनी मात्रा में रेमेडेसिवियर दवा बनाने जा रही है वो सभी अमरीका ने पहले ही ख़रीद ली है. मंगलवार को इसकी घोषणा करते हुए अमरीका के स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि इस दवा के पाँच लाख डोज़ अमरीकी अस्पताल के लिए ख़रीदने का फ़ैसला लिया गया है. फ़िलहाल कोरोना की ये दवा तो नहीं है, लेकिन जाँच में पाया गया है कि इसके इस्तेमाल से मरीज़ों में रिकवरी टाइम में कमी आ सकती है. अमरीका के बाहर दुनिया में केवल नौ कंपनियों के पास ही इसे बनाने और बेचने का अधिकार है. ये एक बड़ी वजह है, इस ड्रग के कम सप्लाई होने की. 
(bbc news)

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