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सीएम-मंत्रियों के साथ एक-एक संसदीय सचिव होंगे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 जुलाई। संसदीय सचिव विधानसभा में जवाब नहीं दे सकेंगे। वे सिर्फ मंत्री के सहायक के रूप में काम करेंगे। बताया गया कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के साथ एक-एक विधायकों को संसदीय सचिव के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
पिछली सरकार में दर्जनभर संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई थी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट ने आधा दर्जन याचिकाएं दायर की गई थी। यह कहा गया था कि संसदीय सचिव मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं और विधानसभा में सरकार की तरफ से जवाब भी देते हैं। उनकी नियुक्ति को अवैध घोषित करने का आग्रह किया गया था।
हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को तो खारिज कर दिया था, साथ ही साथ यह भी कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 163-164 में दी गई मंत्री की परिभाषा के तहत संसदीय सचिव किसी संवैधानिक या वैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर रहे। कोर्ट ने अगस्त 2017 में दिए गए आदेश को यथावत रखा था, इस आदेश के मुताबिक संसदीय सचिव मंत्री के तौर पर कार्य नहीं कर सकेंगे।
बिलासपुर हाईकोर्ट के आदेश को ध्यान में रखकर ही सरकार संसदीय सचिव नियुक्त करने जा रही है। मुख्यमंत्री और सभी मंत्रियों के साथ एक-एक मंत्री अटैच किए जाएंगे। सूत्र बताते हैं कि हाईकोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखकर ही उन्हें सुविधाएं मुहैया कराई जाएगी। यानी उन्हें विधानसभा में मंत्री की तरफ से जवाब देने का अधिकार नहीं होगा। सूत्रों के मुताबिक कुछ नाम भी तय किए गए हैं। ये नाम प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया को भेजा जाएगा। अंतिम रूप से इन नामों पर मुहर लगेगी।