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कोरोना से जूझते पाक में ब्लड प्लाज्मा का धंधा
05-Jul-2020 10:07 AM
कोरोना से जूझते पाक में ब्लड प्लाज्मा का धंधा

व्हाट्सएप पर खुले आम मोल भाव 

पाकिस्तान में स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर है. कोरोना संकट से स्वास्थ्य अधिकारी जूझ रहे हैं. ऐसे में, कोरोना के मरीजों के बीच ब्लड प्लाज्मा की बहुत मांग है.

पाकिस्तान में एक जुलाई तक कोरोना वायरस के मामलों की संख्या 2.15 लाख तक पहुंच गई और अब तक लगभग साढ़े चार हजार लोग इस महामारी से मारे गए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण ने देश की पहले से ही खस्ताहाल सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल व्यवस्था पर बहुत बोझ डाल दिया है.

यंग डॉक्टर्स एसोसिएशन के चेयरमैन खिजार हयात ने डीडब्ल्यू को बताया, "स्थिति बहुत गंभीर है. जब टेस्ट बढ़ाए जाएंगे तो कोरोना के मामलों की संख्या दसियों लाख में पहुंच जाएगी. मुझे डर है कि यह महामारी पाकिस्तान में दूसरी जगहों से कहीं घातक साबित हो सकती है."

अफरा तफरी के बीच पाकिस्तान में उन लोगों के ब्लड प्लाज्मा की कालाबाजारी हो रही है जो कोरोना संक्रमण के बाद ठीक हो गए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस ब्लड प्लाज्मा में ठीक हुए इंसान के शरीर में बनी एंटीबॉडीज होती हैं जो कोविड-19 का संभावित इलाज हो सकती हैं.

गरीबी का जाल

पाकिस्तान में व्हाट्सएप पर चल रहे संदेशों में लोगों को खुले आम ब्लड प्लाज्मा का मोल भाव करते हुए देखा जा सकता है. लाहौर में रहने वाले काशिफ नसीर ने बताया कि कोरोना वायरस से संक्रमित उनके चाचा को ऐसा ब्लड प्लाज्मा मिला है. वह कहते हैं, "हमारे खानदान के एक व्यक्ति ने उन्हें ब्लड प्लाज्मा दिया. लेकिन जब मैं अपने चाचा की देखभाल करने के लिए अस्पताल में था, तब मुझे पता चला कि ब्लड प्लाज्मा को बाजार में बेचा जा रहा है."
वह कहते हैं कि पाकिस्तान में कई गरीब लोग कोरोना वायरस से ठीक हो गए हैं, वे अपनी आर्थिक तंगियों को दूर करने के लिए ब्लड प्लाज्मा बेच रहे हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि अब यह कारोबार बनता जा रहा है. नाम ना जाहिर करने की शर्त पर कराची के एक निवासी ने बताया, "मेरी वित्तीय स्थिति ने मुझे मेरा ब्लड प्लाज्मा बेचने के लिए मजबूर किया. मैं तीन महीने से बेरोजगार हूं और मेरी सारी जमा पूंजी कोरोना के इलाज में खर्च हो गई है. अब मैं अपना ब्लड प्लाज्मा कम से कम तीन लाख रुपये में बेचना चाहता हूं ताकि मैं किश्तों पर एक टैक्सी खरीद सकूं."

सरकार ने लोगों से ब्लड बैंकों और अस्पतालों से प्लाज्मा ना खरीदने को कहा है. पाकिस्तान मेडिकल एसोसिएशन के अब्दुल गफूर शोरो ब्लड प्लाज्मा की गैरकानूनी बिक्री से जुड़ी रिपोर्टों पर चिंता जताते हैं. उन्होंने डीडब्लयू से बातचीत में कहा, "पाकिस्तान में तो लोग 'सामान्य परिस्थितियों' में अपनी किडनी और दूसरे अंग बेच देते हैं." वह कहते हैं कि कोरोना संकट के कारण जिन लोगों का रोजगार चला गया है, सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए. उनके मुताबिक, "ऐसे लोगों के लिए सरकार को वित्तीय पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, वरना गरीबी के चलते ज्यादा से ज्यादा लोग अपना ब्लड प्लाज्मा बेचेंगे."

कोरोना की स्थिति

सरकार का कहना है कि वह ऐसे हेल्थ सेंटर बना रही है जहां ब्लड प्लाज्मा पेशेवर और कानूनी तरह से डोनेट किया जा सकता है. पाकिस्तान में क्लीनिकल स्टडी कमेटी ऑफ द ड्रग्स रेग्युलेटरी अथॉरिटी के चेयरमैन अब्दुल रशीद कहते हैं, "सरकार ने इस मकसद से कराची, लाहौर, रावलपिंडी और पेशावर में पांच अस्पताल निर्धारित किए हैं. सिर्फ इन्हीं अस्पतालों को पेशेवर दिशानिर्देशों के अनुसार ब्लड प्लाज्मा जमा और उन्हें इस्तेमाल करने की अनुमति होगी."

उन्होंने कहा, "इन अस्पतालों में कम से कम 351 मरीजों को ब्लड प्लाज्मा मिला है. इनके ट्रायल के बारे में रिपोर्ट अभी स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी जानी है. इन अस्पतालों के अलावा दूसरी जगहों पर ब्लड प्लाज्मा देने या बेचने वाले गैरकानूनी काम कर रहे है."

पाकिस्तान में कोरोना वायरस का पहला मामला 26 फरवरी को सामने आया था. उसके बाद एक अप्रैल से देश भर में आंशिक लॉकडाउन लगाया गया जो 9 मई तक चला. फिलहाल सरकार संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में "स्मार्ट" लॉकडाउन के जरिए वायरस के फैलाव को रोकने की कोशिश कर रही है. वहीं पाकिस्तान का विपक्ष और डॉक्टर पूरी तरह से लॉकडाउन की मांग कर रहे हैं. (www.dw.com)

 

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