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कोरोना से लड़ने में विटामिन डी कितनी मददगार?
05-Jul-2020 10:20 AM
कोरोना से लड़ने में विटामिन डी कितनी मददगार?

क्या हमें धूप लेनी चाहिए?

क्या कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने में विटामिन डी मददगार साबित हो रही है? रिसर्चरों के बीच विटामिन डी को लेकर सवाल बहुत ही प्रमुखता से उठ रहा है.

ब्रिटिश सरकार में सेहत और पोषण को लेकर काम करने वाली संस्था साइंटिफिक एडवाइजरी कमिशन ऑन न्यूट्रिशन और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ एंड केयर एक्सलेंस ने कोरोना में विटामिन डी की भूमिका को लेकर रिपोर्ट तैयार की है.

विटामिन डी को लेकर क्या है सलाह?

कोरोना महामारी के दौर में ज़्यादातर लोग घरों में बंद हैं. ऐसे में शरीर में विटामिन डी का कम होना लाज़िमी है. आम दिनों में लोग घरों से बाहर ज़्यादा वक़्त गुज़ारते हैं. ऐसे में त्वचा को धूप मिलती है और विटामिन का ये प्राकृतिक स्रोत हमारे लिए लाभकारी साबित होता है.

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस का कहना है कि महामारी के इस दौर में लोगों को हर दिन 10 माइक्रोग्राम विटामिन लेनी चाहिए. ख़ास करके उन लोगों को जो ज़्यादातर वक़्त घरों में बीता रहे हैं. ब्रिटेन में तो महामारी से पहले भी सर्दियों में अक्टूबर महीने से मार्च तक विटामिन डी अलग से लेने की सलाह दी जाती है.
हालांकि पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड (पीएचई) ने पूरे साल विटामिन डी की सप्लिमेंट लेने की सलाह दी है. पीएचई का कहना है कि जो बाहर नहीं जा पा रहे हैं या केयर होम में रह रहे हैं उनके लिए विटामिन डी अलग से लेना बहुत ज़रूरी है.

जिन्हें पूरे साल विटामिन डी अलग से लेने की है ज़रूरत-

जो अक्सर घर से बाहर नहीं जाते हैं
जो केयर होम में रहते हैं
जिनकी त्वचा हमेशा कपड़ों से ढँकी रहती है
जिनकी त्वचा भूरी या काली है, उन्हें भी विटामिन डी पर्याप्त नहीं मिल पाती है क्योंकि वो भी लॉकडाउन में बाहर नहीं निकल पा रहे. ऐसे में इन्हें भी पूरे साल अलग से विटामिन डी लेनी चाहिए.

स्कॉटलैंड और वेल्स की सरकारों के अलावा उत्तरी आयरलैंड की पब्लिक हेल्थ एजेंसी ने लॉकडाउन में इसी तरह की सलाह दी है.

हमें विटामिन डी की ज़रूरत क्यों?

यह बहुत ही आम लेकिन ज़रूरी तथ्य है कि मज़बूत और स्वस्थ्य हड्डियों, दांत और मांसपेशियों के लिए विटामिन डी बहुत ज़रूरी है. इसकी कमी से हड्डियां कमज़ोर होती हैं और बच्चों में सूखे की बीमारी हो जाती है. वयस्कों में इसकी कमी के कारण ऑस्टिमलेशा नाम की बीमारी हो जाती है.

रिर्सचरों ने यह भी कहा है कि विटामिन डी से शरीर में रोग प्रतिरोधी क्षमता प्रभावी रहती है और इससे संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है. कुछ स्टडी का यह भी कहना है कि शरीर में विटामिन डी की पर्याप्त उलब्धता से सामान्य जुकाम और फ़्लू से बचा जा सकता है.

हालांकि साइंटिफिक एडवाइज़री कमिटी ऑन न्यूट्रिशन (एसएसीएन) ने सीने में संक्रमण को रोकने में विटामिन डी से इलाज की बात समीक्षा की है और कहा है कि इसके पर्याप्त सबूत नहीं हैं जिसके आधार पर कहा जाए कि इसके लिए विटामिन डी लेनी चाहिए.

क्या विटमिन डी से कोरोना को रोका जा सकता है?

नेशनल इंस्टीट्यूट फ़ॉर हेल्थ एंड केयर एक्सलेंस ने विटमिन डी पर हुई रिसर्च की समीक्षा में बताया है कि इसके कोई सबूत नहीं हैं जिसके आधार पर कहा जाए कि विटामिन डी के सप्लिमेंट से कोविड-19 को रोका जा सकता है.

लेकिन विशेषज्ञों की इस पर कोई दो राय नहीं है कि महामारी के वक़्त में विटामिन डी के कई फ़ायदे हैं और शरीर में इसकी मौजूदगी पर्याप्त बनाए रखने की ज़रूरत है.

बीएमजे न्यूट्रिशन, प्रिवेंशन एंड हेल्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, ''विटामिन डी ख़ास चीज़ों के लिए दी जानी चाहिए न कि कोविड-19 के इलाज के तौर पर. यह बिल्कुल सच है कि अभी के वक़्त में विटमिन डी की कमी एक वाजिब तर्क है. विटामिन डी हमारे शरीर में पर्याप्त रहे यह हमारी स्वस्थ जीवन शैली का हिस्सा है.''

कुछ रिसर्चरों का यह भी कहना है कि किसी व्यक्ति में विटामीन डी की कमी है और वो कोरोना वायरस से संक्रमित हो जाता है तो उसे ठीक करना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन कोरोना पीड़ितों में हार्ट की बीमारी भी आम है, ऐसे में किसी नतीजे पर पहुंचना आसान नहीं है.

लिवरपुल यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के प्रोफ़ेसर जॉन रोड्स का कहना है, ''विटामिन डी में संक्रमण-रोधी ताक़त होती है और कुछ रिसर्च का कहना है कि वायरस के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता भी प्रभावित होती है. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जिनका लंग्स बुरी तरह से प्रभावित हुआ है, उनमें विटामिन डी प्रासंगिक हो सकती है लेकिन इसके लिए अभी और रिसर्च की ज़रूरत है.''

क्या हमें विटामिन डी की डोज़ ज़्यादा लेनी चाहिए?

नहीं. हालांकि विटामिन डी की सप्लिमेंट बहुत सुरक्षित होती है लेकिन आप डॉक्टर की बताई डोज़ से ज़्यादा लेते हैं तो यह लंबी अवधि के लिए ख़तरनाक हो सकती है. विटामिन डी की सप्लिमेंट लेते वक़्त इन बातों का ख़याल ज़रूर रखें-

एक से 10 साल के बच्चों को एक दिन में 50 माइक्रोग्राम से ज़्यादा नहीं देनी चाहिए
शिशु (12 महीने से नीचे) को एक दिन में 25 माइक्रोग्राम से ज़्यादा नहीं देनी चाहिए
वयस्कों को एक दिन में 100 माइक्रोग्राम से अधिक नहीं लेनी चाहिए
इससे ज़्यादा की डोज़ डॉक्टर विटामिन डी की भारी कमी या विषम परिस्थितियों में देते हैं
जिन्हें किडनी की समस्या है उनके लिए विटामिन डी की सप्लिमेंट सुरक्षित नहीं है
विटामिन डी की सप्लिमेंट कहां से ख़रीदी जा सकती है?

विटामिन डी की सप्लिमेंट कोई दुर्लभ चीज़ नहीं है. यह मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाती है. ये या तो विटामिन डी की गोलियां के रूप में होती हैं या मल्टिविटामिन की टैबलेट के तौर पर.

विशेषज्ञों का कहना है कि जितनी ज़रूरत हो उतनी है ख़रीदें और खाएं. ज़्यादातर विटामिन डी सप्लिमेंट में डी3 होती है. विटमिन डी2 प्लांट्स में बनाई जाती है और डी3 आपकी त्वचा से बनती है. बच्चों के लिए इसकी ड्रॉप उपलब्ध होती है.

आहार और विटामिन डी

एक संतुलित आहार आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्युन को सामान्य रखता है. ऐसी स्थिति में किसी व्यक्ति को अलग से कुछ लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती है. लेकिन केवल आहार में पर्याप्त विटामिन डी खोजना मुश्किल है.

संतुलित आहार अच्छी सेहत के लिए बहुत ज़रूरी है लेकिन हमें आहार के बारे में पता भी होना चाहिए. विटामिन डी मछली और अंडे में होती है. इसके अलावा अनाज, कृत्रिम मक्खन और दही में भी होती है.

क्या हमें धूप लेनी चाहिए?

अगर आप चाहते हैं कि केवल धूप से विटामिन डी की पूर्ति कर लेंगे तो यह भी संभव नहीं है. धूप से भी सावधानी बरतने की ज़रूरत है. सन बर्न स्कीन से बचने के लिए अपनी त्वचा को ढक लें या सनस्क्रीन लगाएं. इससे त्वचा को धूप से होने वाले नुक़सान से बचाया जा सकता है.

बच्चों, शिशुओं और गर्भवती महिला के लिए क्या करना चाहिए?

माँ के दूध पीने वाले बच्चों को जन्म से एक साल तक रोज़ विटामिन डी का 8.5 से 10 माइक्रोग्राम तक विटामिन डी की सप्लिमेंट देनी चाहिए.

जो बच्चे मां का दूध नहीं पीते हैं उन्हें तब तक विटामिन डी की सप्लिटमेंट नहीं देनी चाहिए जब तक कि इसका स्तर 500 एमएल से कम ना हो क्योंकि इन बच्चों को जो आहार दिया जाता है, उनमें विटामिन डी पहले से ही मौजूद रहती है.

एक से चार साल के बच्चों को हर दिन 10 माइक्रोग्राम विटामिन डी की सप्लिटमेंट देनी चाहिए. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिला को भी हर दिन 10 माइक्रोग्राम की डोज़ लेनी चाहिए. (www.bbc.com)

 

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