विचार / लेख
-विष्णु नागर
एक देश है। उसने हमारी 40 से 60 वर्गकिलोमीटर जमीन हथिया ली है और हमारे बीस सैनिकों की जान ले ली है, फिर भी टस से मस होने को तैयार नहीं है। इसके बावजूद हमारे प्रधानमंत्री ने उसका नाम लेना उचित नहीं समझा है तो मैं ही क्यों उसका नाम लेने का गुनहगार बनूँ? अगर मोदीजी देशभक्त हैं तो क्या मैं उनसे कम देशभक्त हूँ? इसके बावजूद कि मुझमें एक जबर्दस्त कमी है कि मैं उनका भक्त बनने की योग्यता से वंचित हूँ, तो भी संकट की इस घड़ी में उनके साथ खड़ा होना पड़ेगा न, इसलिए मैं भी उस देश का नाम नहीं लूँगा। यही असली देशभक्ति है। जो मोदीभक्त होकर भी देशभक्ति के इस धर्म का पालन नहीं कर रहे हैं, मैं उनकी घनघोर भत्र्सना करता हूँ। मैं तो इस समय मोदीजी के साथ इस हद तक खड़ा हूँ कि यह भी नहीं बताऊँगा कि वह हमारा पड़ोसी देश है या नहीं है। बस इतना बता सकता हूँ कि उसका नाम पाकिस्तान नहीं है। हाँ पाकिस्तान होता तो बात कुछ और होती,माहौल कुछ और होता! तब तो हमारे प्राइममिनिस्टर साहब ही उसका नाम सौ बार दाँत पीस -पीस कर, गला फाडक़र-फाडक़र, उछल-उछल कर लेते।जहाँ तक मेेरा सवाल है, देशभक्त होने के बावजू मैं दाँत पीसना, गला फाडऩा और उछलना तो नहीं जानता मगर नाम जरूर लेता मगर इस मामले में तो नाम कतई नहीं लूँगा।
जरूर इसके पीछे प्रधानमंत्री की देशभक्तिपूर्ण कूटनीति होगी। शायद यह सोचकर नाम नहीं लिया होगा कि ऐसा करने से राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा और बढ़ जाएगा। संभव है नाम लेने भर से देश की एकता और अखंडता खंडित हो जाती, जिसे बनाए रखने का जितना शौक मोदी जी को है, आज तक किसी प्रधानमंत्री को नहीं रहा। संभव है इससे हिंदू राष्ट्रवाद खतरे में पड़ जाता, जिसके वह सतर्क चौकीदार हैं। इससे उस देश को मदद पहुँचती, जो पहले ही इस बात पर लट्टू हुआ पड़ा है कि हमारे प्रधानमंत्री ने स्वयं कह दिया है कि न कोई हमारी सीमा में घुसा है, न कोई हमारी सीमा में घुसा हुआ है, न ही हमारी कोई पोस्ट उसके कब्जे में है। इसका उस देश की भाषा में जम कर अनुवाद हुआ और आज भी वहाँ की सरकार अपनी जनता को सुनाने की दुष्ट हरकत कर रही है। इस स्थिति मैं ची तो छोड़ो च भी नहीं बोलूँगा और तो और मैं सी तक नहीं बोलूँगा वरना क्या पता, देश के दुुुश्मन इसका फायदा उठा लें और कहें कि निश्चित रूप से सीएच आई एन ए की तरफ मेरा इशारा है। मैं राष्ट्रहित को आगे रखूँगा और ऐसी कोई गलती नहीं करूँगा, जो प्रधानमंत्री खुद नहीं करते हैंं। हाँँ जब प्राइमिनिस्टर साहब क्लीयरेंस देे देंगे, कहेंगे कि हाँ अब मैैं उस देश का नाम ले रहा हूँ, तो तुम भी ले लो, तो उसके भी 24 घंटे बाद नाम लूँगा क्योंकि क्या पता इस बीच पी एम ओ स्पष्टीकरण जारी करके कहे कि प्रधानमंत्री की बात को षडय़ंत्रपूर्वक तोड़मरोडक़र प्रस्तुत किया जा रहा है। प्रधानमंत्री का आशय न च से था, न ची से बल्कि छ, छा, छि, छी तक से नहीं था। उनका इशारा उस देश की ओर था ही नहीं, जिसका नाम अंग्रेजी के सी शब्द से शुरू होता है। मैं पीएम ओ के क्लीअरंस का 24 घंटे क्या 48 घंटे तक इंतजार करूँगा, यही देशहित में होगा।
जब देश संकट में हो तो प्रधानमंत्री की सीख है कि भले वह देश हमारी सीमा में अंदर घुस आए, उसका नाम नहीं लेना चाहिए, तो मैं भी नहींं लूँगा, अपनी राष्ट्रभक्ति को कलंकित नहीं होने दूँगा। मैं भारत माता की कसम खाकर, वंदेमातरम बोलते हुए च, ची, सी कुछ भी नहीं कहूँगा। यहाँ तक कि न का प्रयोग भी नहीं करूँगा क्योंकि चतुर लोग इसके आगे ची लगा देंगे और दुष्टतापूर्ण व्याख्या प्रस्तुत करेंगे। मैं सी क्या एच आई एन ए का इस्तेमाल करना भी तब तक के लिए स्थगित रखूँगा, जब तक हमारी सीमाएँ सुरक्षित नहीं हो जातीं।
आप अगर फिर भी यह जानना चाहते हों कि नाम लिए बगैर संकेत किस देश की ओर है तो यह वही देश है, जिसका प्रधानमंत्री आज तक कुल नौ बार दौरा कर चुके हैं। चार बार मुख्यमंत्री के रूप में और पाँच बार प्रधानमंत्री के रूप में।उन्होंने उस देश का दौरा करने के सभी मुख्यमंत्रियों और सभी प्रधानमंत्रियों के रिकॉर्ड तोड़ कर कूड़ेदान में फेंक दिए हैं। जिसके राष्ट्रपति को हमारे प्रधानमंत्री ने अहमदाबाद में साबरमती नदी के किनारे झूला झुलाया था और महाबलिपुरम में अंगवस्त्रम धारण कर जिनके गाइड का काम किया था। इसी देश के बारे में यह कहने के बाद कि किसी न हमारी सीमा में कब्जा नहीं किया है, बाद में पापुलर डिमांड पर यह भी कह दिया कि लद्दाख की भूमि पर आँखें उठाकर देखनेवालों को करारा जवाब मिला है।भारत मित्रता निभाना जानता है तो आँख में डाल कर देखना और उचित जवाब देना भी जानता है।आप फिर भी न समझ हों, तो सोनिया गांधी, राहुल गांधी के पिछले वक्तव्य पढ़ लें। तब भी नहीं समझे हों तो विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर जाकर देख लें और इतना भी कष्ट न उठा सकें तो यह समझ लें कि जिसके 59 एप्स हमने रोक दिए हैं, जिसमें टिकटाक जैसा एप भी है क्योंकि हमें अब पता चल गया है कि अरे, ये एप्स तो हमारी सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए थे! फिर भी समझ नहीं सके हों तो इंतजार करें शायद किसी दिन हमारे प्रधानमंत्री स्वयं हमें इस योग्य समझने की गलती कर बैठें और हमारे सामने इसका नाम ले लें और हम खुशी से पागल हो जाएँ और कहें कि देखा उनका सीना 56 इंच का है, जबकि सच यह होगा कि उस दिन से वह 58 इंच का हो चुका होगा!