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कल से सावन : 16वीं सदी के शिव मंदिर में वीरानी, 4सौ वर्ष पुराने अंबिका मंदिर में रहती है भीड़
05-Jul-2020 2:33 PM
कल से सावन : 16वीं सदी के शिव मंदिर में वीरानी, 4सौ वर्ष पुराने अंबिका मंदिर में रहती है भीड़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 5 जुलाई। आरंग मार्ग स्थित 4 सौ वर्ष पुराना श्री विश्वनाथ महादेव राज राजेश्वरी अंबिका मंदिर वर्तमान में जन आस्था का केन्द्र है। मंदिर स्थित रत्नों उपरत्नों से निर्मित 1008 शिवलिंग के दर्शन के लिए सावन माह में श्रद्धालुओं की वहां भीड़ उमड़ी रहती है लेकिन इस मंदिर से मात्र 15 मीटर दूर 16 वीं शताब्दी के पुराने मंदिर में पूरी तरह से वीरानी छाई रहती है।
 
पुरातत्व विभाग की पड़ताल अनुसार इस मंदिर के निर्माण में 12वीं-13वीं सदी में ध्वस्त मंदिर के चौखट का इस्तेमाल किया गया है और पुरातात्विक अवशेष इसके शिव मंदिर होने का प्रमाण है लेकिन गर्भगृह स्थित शिवलिंग सीमान्तरित कर दिया गया है। 

विश्वनाथ मंदिर ट्रस्टी बालमुकुंद अग्रवाल ने बताया कि लगभग 4 सौ वर्ष पहले उनके पूर्वज विश्वनाथ अग्रवाल ने शिव मंदिर का निर्माण कराया था। कालान्तर में इसे श्री विश्वनाथ महादेव राज राजेश्वरी अंबिका मंदिर के नाम से जाना जाने लगा। वर्ष 1998 में अग्रवाल परिवार के साझा योगदान से मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। 

वर्ष 2015 में यहां रत्न-उपरत्नों से 1008 शिवलिंग युक्त दिव्य विश्वनाथ प्रतिष्ठित किए गए। वर्ष 2010 में दस महा विद्या की तथा इसके पूर्व कुलदेवता नृसिंहनाथ प्रतिष्ठित किए गए। यहां दिव्य विश्वनाथ की रोजाना विधिवत पूजा अर्चना की जाती है लेकिन श्रद्धालुओं का प्रवेश निषिद्ध रहता है। 
सावन माह में मंदिर स्थित महादेव की 5 ब्राम्हणों द्वारा भगवान शिव के 100 नामों से 121 आवृत्ति का नमक चमक पाठ किया जाता है। श्री अग्रवाल ने बताया आमतौर पर यहां रोजाना 150 श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। सावन माह में यह संख्या लगभग हजार हो जाती है। इस बार कोरोना के कारण गर्भगृह में शिवभक्तों का प्रवेश वर्जित रहेगा। विशेष पाइप से श्रद्धालु महादेव का अभिषेक कर पाएंगे।
 
श्री विश्वनाथ मंदिर से मात्र 15 मीटर दूरी पर ऐतिहासिक शिव मंदिर है। पुरातत्व विभाग की ओर से वहां पट्टिका लगी है जिसमें उसके पुरातात्विक महत्व की जानकारी दी गई। इसमें उल्लेख है कि ऊंचे चबूतरे पर विद्यमान पूर्वाभिमुखी मंदिर में गर्भगृह, अंतराल और मंडल तीन अंग है। वर्तमान में इस मंदिर का गर्भगृह रिक्त है। संभवत: यह शिव मंदिर है। इस मंदिर के गर्भगृह का शिवलिंग स्मारक के निकट निर्मित किए गए अन्य शिव मंदिर में पूर्व में सीमान्तरित कर दिया गया है।  

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