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गोबर ख़रीदेगी सरकार, 1.50 रूपये किलो
05-Jul-2020 9:04 PM
गोबर ख़रीदेगी सरकार, 1.50 रूपये किलो

-आलोक प्रकाश पुतुल
रायपुर 5 जुलाई । 
छत्तीसगढ़ में अब गाय-भैंस पालने वालों के दिन फिरने वाले हैं क्योंकि राज्य सरकार ने अब किसानों से डेढ़ रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर ख़रीदने का फ़ैसला किया है. गोबर ख़रीदने के लिये हाल ही में राज्य सरकार ने मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया था, जिसने गोबर ख़रीदी की दर पर अंतिम मुहर लगा दी है.राज्य के कृषि मंत्री और समिति के अध्यक्ष रवींद्र चौबे ने शनिवार को इसकी घोषणा करते हुए कहा, "हमने डेढ़ रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर ख़रीदने की अनुशंसा की है. इसे मंत्रिमंडल में पेश किया जायेगा. हमने गोबर ख़रीदने की पूरी तैयारी कर ली है और गांवों में 21 जुलाई, हरेली त्यौहार के दिन से गोबर ख़रीदी की शुरुआत की जायेगी."राज्य सरकार ने 'गोधन न्याय योजना' के नाम से गोबर ख़रीदने का फ़ैसला पिछले महीने लिया था. लेकिन गोबर ख़रीदी की दर क्या हो, इसे लेकर संशय था.

इसके अलावा गोबर प्रबंधन को लेकर भी कई सवाल थे. इसके बाद गोबर ख़रीदने के लिये मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई गई थी.

इस योजना के बारे में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना था कि पशु रखने के काम को व्यावसायिक रूप से फायदेमंद बनाने, सड़कों पर आवारा पशु की समस्या से निपटने और पर्यावरण सुरक्षा के लिहाज़ से योजना महत्वपूर्ण है.

हालांकि सरकार ने अब तक ये स्पष्ट नहीं किया है कि वो एक दिन में कुल कितना गोबर खरीदेगी और इस पूरी योजना में कुल कितना खर्च होगा और ये खर्च आएगा कहां से.

गोबर की ख़रीदी को लेकर राज्य के मुख्य सचिव आरपी मंडल की अध्यक्षता में एक विशेष समिति गई है. ये समिति गोबर ख़रीदी के वित्तीय प्रबंधन पर रिपोर्ट तैयार कर रही है.

कैसे होगी गोबर की ख़रीद?

राज्य सरकार का दावा है कि गोबर ख़रीदी की पूरी की पूरी कार्य योजना बेहद महत्वाकांक्षी और ग्रामीण अर्थव्यव्था को मज़बूती प्रदान करने वाली साबित होगी. कृषि मंत्री रवींद्र चौबे का कहना है कि गांवों में बनाई गई गौठान समिति अथवा महिला स्व-सहायता समूह द्वारा घर-घर जाकर गोबर एकत्र किया जाएगा.इसके लिए ग्रामीणों का विशेष ख़रीदी कार्ड बनाया जाएगा, जिसमें हर दिन के गोबर की मात्रा और भुगतान का विवरण दर्ज़ होगा. मंत्रिमंडलीय उपसमिति ने किसानों और पशुपालकों से खरीदे गए गोबर के एवज़ में हर पखवाड़े यानी हर पंद्रह दिन में एक बार भुगतान किए जाने की बात कही है.नगरीय इलाक़ों में गोबर की ख़रीदी का काम नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा तथा जंगल के इलाक़े में वन प्रबंधन समितियों द्वारा किया जाएगा.

रविंद्र चौबे ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट की आवश्यकता किसानों के साथ-साथ हार्टिकल्चर में, वन विभाग एवं नगरीय प्रशासन विभाग को भी होती है.

ऐसे में गोबर से तैयार वर्मी कम्पोस्ट की खपत और उसकी मार्केटिंग की चिंता सरकार को नहीं है. रवींद्र चौबे का कहना है कि गौठानों में पहले से ही गोबर से कंपोस्ट बनाया जा रहा है.

यहां बनने वाले वर्मी कम्पोस्ट को प्राथमिकता के आधार पर उसी गांव के कृषकों को निर्धारित मूल्य पर दिया जाएगा.

गोबर खरीद का पूरा गणित

अधिकारियों का कहना है कि फ़िलहाल, राज्य में पांच हज़ार गौठानों के ज़रिए गोबर ख़रीदी और खाद निर्माण का फ़ैसला लिया गया है और इसमें लगभग साढ़े चार लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा.भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग के 2019 के आरंभिक आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में लगभग 1,11,58,676 गाय और भैंस हैं और पशु वैज्ञानिकों की मानें तो एक औसत गाय-भैंस प्रतिदिन लगभग 10 किलो गोबर देती है.लेकिन गली-मोहल्लों में अभी से गोबर के गणित की चर्चा शुरु हो गई है. किसान भी गोबर का गणित हल करने में जुट गये हैं. धमतरी के किसान राजेश देवांगन कहते हैं, "अगर राज्य सरकार एक करोड़ गाय-भैंस का गोबर भी ख़रीदती है तो दस किलो के हिसाब से भी हर दिन लगभग 10 करोड़ किलो गोबर ख़रीदना होगा, जिसकी क़ीमत 15 करोड़ रूपये होगी. इस हिसाब से महीने के 450 करोड़ रूपये और साल भर में 5400 करोड़ रूपये का भुगतान सरकार को केवल गोबर के लिये ही करना होगा."

लेकिन विपक्ष को संशय है कि राज्य सरकार अपनी इस योजना को अमली जामा पहना पाएगी.भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह का कहना है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने जितने भी वादे किये थे, उसमें से एक भी वादा सरकार पूरा नहीं कर पाई.रमन सिंह कहते हैं, "धान तो ख़रीद नहीं सके. एक-एक दाना धान ख़रीदने की बात थी, किसानों को बोनस देने की भी बात थी. दो साल का बोनस अभी भी बचा हुआ है. जब बोनस की बात होती है, तो नवयुवकों की बेरोज़गारी भत्ता की बात भी होती है. लेकिन सरकार कहती है कि उसके पास पैसा नहीं है. सरकार गोबर भी ख़रीदे और धान भी ख़रीदे लेकिन इन बातों को लेकर बहानेबाज़ी नहीं होनी चाहिये."

गोबर और गोमूत्र

गाय, गोबर और गोमूत्र जैसे मुद्दे भारतीय जनता पार्टी के एजेंडे में दिखते रहे हैं.लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने इन मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करना शुरू किया है. "छत्तीसगढ़ के चार चिन्हारी, नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी" (छत्तीसगढ़ के चार चिन्ह- नाला, गोवंश, दिन फिरने का वक्त और घर का साथ की ज़मीन) - के नारे के साथ सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी ने जलप्रबंधन, गोधन, घरों से निकलने वाले जैविक कचरे से खाद निर्माण और घर से सटी हुई ज़मीन पर सब्जी-भाजी उगाने की अपनी योजना को पहले दिन से ही लागू करने की घोषणा की थी.सत्ता में आने के बाद से राज्य सरकार गाय और बैलों को एक जगह रखने के लिये गांव-गांव में गौठान का निर्माण कर रही है. अधिकारियों के अनुसार अब तक प्रदेश में 2200 गौठान बनाये जा चुके हैं, इसके अलावा 2800 गौठान जल्दी ही तैयार हो जायेंगे. सरकार का दावा है कि सभी ज़िलों के गौठानों में महिला समूहों द्वारा वर्मी कम्पोस्ट खाद भी बनाया जा रहा है.

अब सरकार द्वारा निर्धारित दर पर किसानों एवं पशुपालकों से गोबर की ख़रीदी की जाएगी, जिससे बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का उत्पादन किया जाएगा.राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि देश में पहली बार गोबर की ख़रीदी करने वाला छत्तीसगढ़ सरकार का यह फ़ैसला एक तरफ़ जहां सड़कों पर घूमने वाले पशुओं की रोकथाम करेगा, वहीं इस गोबर से बनने वाले खाद से राज्य में जैविक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा.

उनका कहना है कि इसके अलावा पशुपालकों को भी लाभ होगा और गांवों में रोज़गार और अतिरिक्त आय के अवसर भी बढ़ेंगे. भूपेश बघेल ने आने वाले दिनों में गोमूत्र ख़रीदी के भी संकेत दिये हैं. उनका कहना है कि सरकार के इस फ़ैसले से ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को लाभ होगा.(bbc)

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