सामान्य ज्ञान

मानसागर झील अैर जलमहल
06-Jul-2020 1:33 PM
मानसागर झील अैर जलमहल

मानसागर झील जयपुर का हिस्सा है। सालों से लगातार अतिक्रमण का शिकार होकर सिकुड़ती जा रही मानसागर झील (जलमहल) को राजस्थान सरकार  ने प्रोटेक्टेड एरिया (वेटलैंड) घोषित कर दिया है। 
इस निर्णय के बाद अब झील की करीब 382 एकड़ जमीन में किसी भी तरह का नया निर्माण, मरम्मत और खनन सहित अन्य कोई गतिविधि पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। दरअसल पिछले दिनों झील विकास प्राधिकरण की बैठक में झील में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण से इसके अस्तित्व पर चिंता जाहिर की गई थी। इसके बाद झील के संरक्षण की आवश्यकता जताते हुए इसके आस-पास के एरिया को प्रोटेक्टेड घोषित करने की सिफारिश की थी। इसी सिफारिश के आधार पर स्वायत्त शासन विभाग ने इस झील की वॉटर बॉडी सहित इसके कैचमेंट एरिया की करीब कुल 382 एकड़ जमीन को प्रोटेक्टेड घोषित किया है। इस भूमि में लेक में पानी की आवक के रास्ते और नाले सहित चारों ओर की भूमि शामिल हैं। इस नोटिफिकेशन के बाद भूमि राज्य सरकार की हो जाएगी। इस एरिया में पानी, मिट्टी, पत्थर, पेड़-पौधे, जीव-जंतु सहित सभी प्रकार की सम्पत्ति राज्य सरकार में निहित होगी और उन्हें नुकसान पहुंचाने या छेड़छाड़ करने पर लेक प्राधिकरण एक्ट के तहत कार्रवाई की जा सकेगी।
जलमहल मानसागर झील के बीच में स्थित है, जो प्रसिद्ध ऐतिहासिक महल है। अरावली पहाडिय़ों के गर्भ में स्थित यह महल झील के बीचों बीच होने के कारण  आई बॉल  भी कहा जाता है। इसे  रोमांटिक महल  के नाम से भी जाना जाता था। जयसिंह द्वारा निर्मित यह महल मध्यकालीन महलों की तरह मेहराबों, बुर्जो, छतरियों एवं सीढ़ीदार जीनों से युक्त दुमंजिला और वर्गाकार रूप में निर्मित भवन है। जलमहल अब पक्षी अभयारण के रूप में भी विकसित हो रहा है। यहां की नर्सरी में 1 लाख से अधिक वृक्ष लगे हैं जहां राजस्थान के सबसे ऊंचे पेड़ पाए जाते हैं। 
जयपुर-आमेर मार्ग पर मानसागर झील के मध्य स्थित इस महल का निर्माण सवाई जयसिंह ने अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों और पंडित के साथ स्नान के लिए करवाया था। इस महल के निर्माण से पहले जयसिंह ने जयपुर की जलापूर्ति हेतु गर्भावती नदी पर बांध बनवाकर मानसागर झील का निर्माण करवाया।  इसका निर्माण 1799 में हुआ था। इसके निर्माण के लिए राजपूत शैली से तैयार की गई नौकाओं की मदद ली गई थी। राजा इस महल को अपनी रानी के साथ ख़ास वक्त बिताने के लिए इस्तेमाल करते थे। वे इसका प्रयोग राजसी उत्सवों पर भी करते थे। 
मध्यकालीन महलों की तरह मेहराबों, बुर्जो, छतरियों एवं सीढ़ीदार जीनों से युक्त दुमंजिला और वर्गाकार रूप में निर्मित भवन है। इसकी उपरी मंजिल की चारों कोनों पर बुर्जो की छतरियां व बीच की बरादरिया, संगमरमर के स्तम्भों पर आधारित हैं।  इस महल में गरमी नहीं लगती, क्योंकि इसके कई तल पानी के अंदर बनाए गए हैं। इस महल से पहाड़ और झील का ख़ूबसूरत नज़ारा भी देखा जा सकता है। चांदनी रात में झील के पानी में इस महल का नजारा बेहद आकर्षक होता है।  
 

 

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