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नई दिल्ली, 7 जनवरी । इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) ने फ्रेंचाइजी आधारित इस टूर्नामेंट के मैचों में विदेशी खिलाडिय़ों के लिए तीन प्लस एक नियम को स्वीकृति दी। पांच विदेशी खिलाडिय़ों के मौजूदा नियम में बदलाव से स्थानीय खिलाडिय़ों का प्रतिनिधित्व बढ़ेगा। यह नियम 2021-22 में आईएसएल के आठवें सीजन के
टूर्नामेंट नियमों का हिस्सा होगा। यह फैसला फुटबॉल स्पोर्ट्स डेवलमेंट लिमिटेड (एफएसडीएल) की बैठक में लिया गया, जिसमें इसकी अध्यक्ष नीता अंबानी ने भी हिस्सा लिया। इस फैसले की सूचना सभी हितधारकों को दे दी गई है, जिसमें क्लब और अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) भी शामिल है। नए नियम के मुताबिक आईएसएल क्लब टीम में अधिकतम छह विदेशी खिलाडिय़ों को अनुबंधित कर पाएंगे, जिसमें एक अनिवार्य रूप से एशियाई मूल का खिलाड़ी होगा। मैच के दौरान चार विदेशी खिलाडिय़ों को मैदान पर उतारने की स्वीकृति होगी। विदेशी खिलाडिय़ों से जुड़ा तीन प्लस एक का नियम एशियाई फुटबॉल परिसंघ के प्रतियोगिता नियमों का हिस्सा है।
इस कदम से इस शीर्ष लीग में भारतीय खिलाडिय़ों का प्रतिनिधित्व बढऩे की उम्मीद है। आईएसएल क्लबों को अभी सात इंटरनैशनल खिलाडिय़ों को अनुबंधित करने की स्वीकृति है, जिसमें से पांच को मैदान पर उतारा जा सकता है। आईएसएल को एशियाई फुटबॉल परिसंघ और फीफा ने 2019 में भारत की शीर्ष लीग का दर्जा दिया था। आईएसएल अब एएफसी प्रतिस्पर्धी नियमों का हिस्सा है और भारतीय फुटबॉल में विदेशी खिलाड़ी नियमों में बदलाव भारतीय लीग के एशियाई फुटबॉल के इंटरनैशनल नियमों के अनुसार ढलने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। मई में एआईएफएफ की कार्यकारी समिति ने सर्वसम्मति से 2020-21 सीजन के लिए आईलीग में विदेशी खिलाडिय़ों से जुड़े तीन (विदेशी खिलाड़ी) प्लस एक (एशियाई खिलाड़ी) नियम को स्वीकृति दी थी।(लाइव हिन्दुस्तान)