सामान्य ज्ञान
कबाबचीनी नाम से काली मिर्च जैसे सवृंत फल बाजार में मिलते हैं। इनका स्वाद कटु-तीक्ष्ण होता है, किंतु चबाने से मनोरम तीक्ष्ण गंध आती है और जीभ शीतल मालूम होती है। इसे कंकोल , सुगंधमरिच, शीतलचीनी और क्यूबेब भी कहते हैं। यह पाइपरेसिई कुल की पाइपर क्यूबेबा नामक लता का फल है जो जावा, सुमात्रा तथा बोर्नियो में स्वत: पैदा होती है। श्रीलंका तथा दक्षिण भारत के कुछ भागों में भी इसे उगाया जाता है।
कबाबचीनी ऊपर से काली और अन्दर से सफेद होती है। यह स्वाद में चरपरी व ठंडी होती है। कबाबचीनी के दाने काली मिर्च के समान होते हैं। कबावचीनी अन्दर से पोली होती है और यह एक पतली डण्डी में लगी होती है। कुछ कबाबचीनी शीतल होती है और कुछ गर्म प्रकृति की होती है। चन्दन कबावचीनी के दोषों को दूर करता है।
कबावचीनी की तुलना दालचीनी के साथ की जा सकती है। यह 4 ग्राम की मात्रा में प्रयोग किया जाता है। कबाबचीनी का सेवन करने से मन और मस्तिष्क प्रसन्न होता है। यह पेट के आंतरिक अंगों को मजबूत बनाती है, मूत्र अधिक लाती है, प्यास को शांत करती है और प्लीहा रोग को ठीक करती है। इसको चबाने से मुंह के छाले और बदबू दूर होती है।