सामान्य ज्ञान
वृंदावन मथुरा के यमुना पार स्थित जहांगीरपुरग्राम (डांगौली/ मांट)का बेलवन देवी लक्ष्मी देवी की तपस्थली है। यह स्थान अत्यंत सिद्ध है। यहां लक्ष्मी माता का भव्य मंदिर है। इस स्थान पर पौषमाह में चारों ओर लक्ष्मी माता की जय जयकार की गूंज सुनाई देने लग जाती है। बेलवन का जिक्र द्वापर युग में मिलता है। श्रीकृष्ण की प्रकट-लीला के समय इस वन में बेल के पेड़ों की प्रचुरता रहने के कारण इसे बेलवन कहते हैं। श्रीकृष्ण सखाओं के साथ गोचारण करते हुए इस परम मनोहर बेलवन में विविध प्रकार की क्रिडाएं करते तथा पके हुए फलों का स्वाद लिया करते थे। यहां श्रीलक्ष्मी जी का मंदिर है।
इस स्थल के बारे में प्रसंग है कि एक समय नारद जी के मुख से ब्रजेन्द्र नन्दन श्रीकृष्ण की मधुर रासलीला और गोपियों के सौभाग्य का वर्णन सुनकर श्रीलक्ष्मी जी के हृदय में रासलीला दर्शन की प्रबल उत्कण्ठा हुई। अनन्य प्रेम की स्वरूपभूता विशुद्ध प्रेम वाली गोपियों के अतिरिक्त और किसी का भी रास में प्रवेश करने का अधिकार नहीं है। वह प्रवेश केवल महाभाव-स्वरूपा कृष्ण कान्ता शिरोमणि राधिका और उनकी स्वरूपभूता गोपियों की कृपा से ही सुलभ है। इसलिए यहीं पर उन्होंने कठोर तपस्या की, फिर भी उन्हें रासलीला में प्रवेश संभव नहीं हो सका। माना जाता है कि वे आज भी रास में प्रवेश के लिए यहां तपस्या कर रही हैं।
श्रीमद्भागवत के दशम स्कन्ध में इसका वर्णन किया गया है। यहां पास में ही कृष्ण कुण्ड और श्रीवल्लभाचार्यजी की बैठक भी है।