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गैंगरेप सर्वाइवर को ही कोर्ट अवमानना में भेजा जेल, उठी रिहाई की माँग
14-Jul-2020 7:59 PM
गैंगरेप सर्वाइवर को ही कोर्ट अवमानना में भेजा जेल, उठी रिहाई की माँग

सीटू तिवारी

बिहार के अररिया में एक गैंगरेप की सर्वाइवर को ही जेल भेज दिया गया है। रेप सर्वाइवर और उनके दो सहयोगियों पर कोर्ट की अवमानना का आरोप लगा है। जिसके बाद इन गैंगरेप की सर्वाइवर सहित तीनों लोगों को समस्तीपुर के दलसिंहसराय जेल भेज दिया गया है।

6 जुलाई को इस गैंगरेप की रिपोर्ट रेप सर्वाइवर ने अररिया महिला थाना में 7 जुलाई को दर्ज कराई।

महिला थाने में कांड संख्या 59/2020, भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) के तहत दर्ज इस एफआईआर में जिक्र है कि मोटरसाइकिल सिखाने के बहाने उनको एक परिचित लडक़े ने बुलाया।
रेप सर्वाइवर को एक सुनसान जगह ले जाया गया। जहाँ मौजूद चार अज्ञात पुरूषों ने उसके साथ बलात्कार किया। एफआईआर के मुताबिक़ रेप सर्वाइवर ने अपने परिचित से मदद मांगी, लेकिन वो वहाँ से भाग गया।

घबराई रेप सर्वाइवर, अररिया में काम करने वाले जन जागरण शक्ति संगठन (जेजेएसएस) के सदस्यों की मदद से अपने घर पहुँची। लेकिन जब उन्हें अपने घर में भी असहज लगा तो रेप सर्वाइवर ने अपना घर छोडक़र जन जागरण शक्ति संगठन के सदस्यों के साथ ही रहने लगी।

7 और 8 जुलाई को उनकी मेडिकल जाँच हुई। जिसके बाद 10 जुलाई को बयान दर्ज कराने के लिए रेप सर्वाइवर को ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में ले जाया गया। जन जागरण शक्ति संगठन की ओर से जारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, रेप सर्वाइवर और जन जागरण शक्ति संगठन के कार्यकर्ता 10 जुलाई को दोपहर 1 बजे कोर्ट पहुँचे। वहाँ इन लोगों ने कॉरीडोर में इंतज़ार किया। उस वक़्त केस का एक अभियुक्त भी वहीं मौजूद था। तकरीबन 4 घंटे के इंतज़ार के बाद रेप सर्वाइवर का बयान हुआ।

प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक, ‘बयान के बाद जब उसे न्यायिक दंडाधिकारी ने बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा, तो वो(रेप सर्वाइवर) उत्तेजित हो गई। उन्होंने उत्तेजना में कहा कि मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। आप क्या पढ़ रहे है, मेरी कल्याणी दीदी को बुलाइए।’

कल्याणी और तन्मय निवेदिता जन जागरण शक्ति संगठन के कार्यकर्ता हैं।
‘बाद में, केस की जाँच अधिकारी को बुलाया गया, तब रेप सर्वावइवर ने बयान पर हस्ताक्षर किए। बाहर आकर रेप सर्वावइवर ने जेजेएसएस के दो सहयोगियों तन्मय निवेदिता और कल्याणी बडोला से तेज आवाज में पूछा कि ‘तब आप लोग कहाँ थे, जब मुझे आपकी जरूरत थी।’

बाहर से आ रही तेज आवाजों के बीच ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट ने कल्याणी को अंदर बुलाया। कल्याणी ने रेप सर्वावइवर का बयान पढक़र सुनाए जाने की मांग की। जिसके बाद वहाँ हालात तल्ख होते चले गए। तकरीबन शाम 5 बजे कल्याणी, तन्मय और रेप सर्वाइवर को हिरासत में लिया गया और 11 जुलाई को जेल भेज दिया गया।

स्थानीय अखबार दैनिक भास्कर में छपी रिपोर्ट में लिखा है, ‘न्यायालय के पेशकार राजीव रंजन सिन्हा ने दुष्कर्म पीडि़ता सहित दो अन्य महिलाओं के विरुद्ध महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई है। दर्ज प्राथमिकी में बताया गया है कि पीडि़ता ने बयान देकर फिर उसी पर अपनी आपत्ति जताई।’
रिपोर्ट में लिखा है कि, ‘न्यायालय में बयान की कॉपी भी छीनने का प्रयास किया गया। न्यायालय में इस तरह की अभद्रता से आक्रोशित न्यायिक दंडाधिकारी ने तीनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया है।’

बीबीसी के पास भी एफ़आईआर की कॉपी मौजूद है।
इस मामले में बीबीसी ने जब पब्लिक प्रोसिक्यूटर (लोक अभियोजक) लक्ष्मी नारायण यादव से बात की तो उन्होंने कहा, ‘मुझे इस मामले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। लॉकडाउन के चलते हम लोग अभी मजिस्ट्रेट कोर्ट नहीं जा पा रहे है।’ वहीं अररिया के एसडीपीओ पुष्कर कुमार ने बीबीसी के सवाल पर सिर्फ इतना कहा, ‘जेल नहीं भेजा गया है।’
ये कहकर उन्होंने कहा कि आपकी (रिपोर्टर की) आवाज नहीं आ रही है और फोन काट दिया। इसके बाद फोन मिलाने पर उन्होंने फोन नहीं उठाया। वहीं अररिया की पुलिस अधीक्षक धुरात साईली सावलाराम और महिला थाना अध्यक्ष रीता कुमारी से संपर्क करने की तमाम कोशिशें असफल रही। बीबीसी ने ई-मेल के जरिए भी संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, जिसका जवाब ख़बर लिखे जाने तक नहीं मिला है।

महिला संगठनों ने की रिहाई की मांग
इस घटना के सामने आने के बाद बिहार के महिला संगठनों ने रेप सर्वाइवर और जन जागरण शक्ति संगठन के कार्यकर्ताओं को रिहा करने की मांग की है।
एडवा की राज्य अध्यक्ष रामपरी के मुताबिक, ‘ये एक अमानवीय फैसला है। वो मानसिक तनाव की स्थिति से गुजर रही थी। उसको कई बार घटना को बताना पड़ा, उसकी पहचान उजागर की गई। एक अभियुक्त और उसके परिवार के लोगों ने शादी का प्रस्ताव देकर मामले को रफ़ा- दफ़ा करने की कोशिश की, जिसको रेप सर्वाइवर ने ठुकरा दिया। वो 22 साल की है, वयस्क है और अपना केस मज़बूती से लडऩा चाहती है, लेकिन उससे, उसके ‘लीगल गार्जियन’ के बारे में पूछा जा रहा है। कांउसलिंग की भी कोई सुविधा नहीं है। हम न्यायपालिका में विश्वास रखते हुए, न्याय की मांग और उम्मीद करते है।’

भारत में बलात्कार कानून
भारत में बलात्कार कानूनों की बात करें तो 80 के दशक में बलात्कार कानूनों में एक बड़ा बदलाव ये आया कि ‘ओनस ऑफ प्रूफ’ महिला से पुरूष को चला गया। बाद में साल 2013 में क्रिमिनल लॉ एमेन्डमेंट एक्ट में महिला केंद्रित कानून बना। मानवाधिकार कार्यकर्ता खदीजा फारूखी बताती है, ‘इसके मुताबिक़ पुरानी सेक्शुएलिटी हिस्ट्री डिस्कस नहीं करने, रेप सर्वाइवर की प्राइवेसी को अहम माना गया तो 164 का बयान दर्ज कराते वक्त अगर रेप सर्वाइवर किसी ‘पर्सन ऑफ कॉन्फिडेंस’ (विश्वस्त व्यक्ति) को साथ में ले जाना चाहती है, तो इसकी अनुमति दी गई। साथ ही उसे बयान की कॉपी भी मिलने का प्रावधान किया गया। इसमें अगर संभव है तो महिला जज के सामने बयान दर्ज किया जाना चाहिए। लेकिन इन सबके बावजूद रेप सर्वाइवर्स के साथ सामाजिक, पारिवारिक और कानूनी स्तर पर अमानवीय व्यवहार होता है।’

रेप सर्वाइवर का ट्रामा
खदीजा जो बात कर रही है उसे 21 साल की दूसरी रेप सर्वाइवर सुलेखा (बदला हुआ नाम) के जीवन से समझा जा सकता है।
बीबीसी से वो कहती हैं, ‘बिहार में उसी की चलती है जिसके पास पैसा है। दुष्कर्म हो जाता है उसके बाद आप शिकायत करें तो गंदे-गंदे सवाल पूछे जाते है। बार-बार पूछते हैं, क्या हुआ था, क्यों गई थी वहाँ? क्या पहना था? ऐसा लगता है केस करके मैंने ही बहुत बड़ी ग़लती कर दी हो। मेरे साथ तो एक पुलिस वाले ने ही रेप किया था तो मुझे न्याय कैसे मिलेगा।’
इस मामले में रिपोर्ट छपने तक प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। (बीबीसी)

 

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