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रायपुर, 20 जुलाई। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि रेशम की डोर नहीं बस मौली बांध देना भाई की कलाई पर, इस सन्देश को देश भर में फैलाते हुए कैट ने देश भर में भारतीय सामान-हमारा अभिमान के तहत चीनी सामान के बहिष्कार का बहुआयामी राष्ट्रीय अभियान गत 10 जून से चलाया हुआ है और राखी वो पहला त्योहार होगा जिससे चीन को पता लगेगा की किस मजबूती से देश चीनी वस्तुओं का बहिष्कार कर चीन को एक बड़ा सबक देने की ठान चुका है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि राखी के इस यह त्यौहार पर भारत की बहनें भारतीय राखी का इस्तेमाल करते हुए चीन को लगभग 4 हजार करोड़ रुपये के व्यापार का घाटा पहुंचाएगी। देश में राखी के त्यौहार पर एक अनुमान के अनुसार लगभग 6 हजार करोड़ का राखियों का व्यापार होता है जिसमें अकेले चीन की हिस्सेदारी लगभग 4 हजार करोड़ होती है।
श्री पारवानी ने बताया कि इस अनूठे अभियान में प्रदेश सहित देश भर में कैट के व्यापारी नेता तथा महिला उद्यमी आंगनवाड़ी तथा घरों में काम करने वाली एवं कच्ची बस्तियों में रहने वाली महिलाओं से हाथ की बनी राखियां बनवा रही हैं।
श्री पारवानी ने कहा की राखियां बनवाने के इस काम से जहां महिलाओं को रोजगार उपलब्ध हो रहा है वहीं राखी बनाने की उनकी कला भी सामने आ रही है और कैट के यह प्रयास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लोकल पर वोकल तथा आत्मनिर्भर भारत के आव्हान को पूरा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है । राखियों का यह त्यौहार विभिन्न वर्गों की महिलाओं की कप्लानाशक्ति और क्रियाशीलता का जीता जागता प्रमाण है।
कैट ने अपनी इस पहल को दिल्ली, के अलावा नागपुर, भोपाल, ग्वालियर, सूरत, कानपुर, तिनसुकिया, गौहाटी, रायपुर, भुवनेश्वर, कोल्हापुर, जम्मू , बंगलौर, चेन्नई, हैदराबाद, पांडिचेरी, मुंबई, अहमदाबाद, लखनऊ, वाराणसी, झाँसी, इलाहबाद, आदि शहरों में राखियां बनवा कर व्यापारियों को वितरित करने का काम शुरू कर दिया है।