विचार / लेख

कोरोना यज्ञ में पत्रकार स्वाहा
27-Jul-2020 7:59 PM
कोरोना यज्ञ में पत्रकार स्वाहा

प्रकाश दुबे

आंध्र प्रदेश का पत्रकारिता में ज़माने से परचम लहरा रहा है। प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का लेख उनके अखबार में छापने से मना करने वाले संपादक चलपति राव तेलुगुभाषी थे। स्वतंत्रता संग्रामी तेलुगुभाषी पत्रकारों की वर्तमान पीढ़ी को आंध्र प्रदेश अनूठा सम्मान बख्श रहा है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने दर्जन भर से अधिक सलाहकार नियुक्त  किए हैं। ज्यादातर सलाहकार पत्रकार हैं। साक्षी अखबार या चैनल में नौकरी करते हैं, करते थे या लिखते-बोलते थे। देवनागरी वर्ण माला में अग्रणी आ यानी आंध्र प्रदेश की लीक पर कई राज्य चले। आंध्र प्रदेश के कीर्तिमानों की बराबरी करना आसान नहीं है। देश के 13 पत्रकारों की मौत का कारण कोरोना रहा। एक तिहाई से अधिक-पांच आंध्र प्रदेश के हैं। बालाजी के शहर तिरुपति के पत्रकार को भी कोरोना ने अपना निवाला बनाया। कडप्पा जिले में तीन पत्रकारों की जान गई।  मुख्यमंत्री जगन्मोहन के पिता डा एस वाय राजशेखर रेड्?डी ने तेलुगु दैनिक साक्षी शुरु किया था। कड़प्पा पिता-पुत्र का घर। चुनावक्षेत्र। राजशेखर ने सोनिया गांधी को पहला लोकसभा चुनाव कड़प्पा से लडऩे के लिए आमंत्रित किया था। हालां कि सलाहकारों ने अकस्मात कर्नाटक के बलारी का चयन किया। उस समय बेल्लारी कहलाता था।   

 अंधेर का विक्रम

कोरोना संकट से जूझ रहे देश की बड़ी कंपनियों से प्रधानमंत्री ने  कर्मचारियों के हित का ध्यान रखने का आग्रह किया था। सरकारों ने अनदेखी की। ऐसे में निजी संस्थानों से उम्मीद लगाना बेकार है। इंडियन न्यूजपेपर्स सोसायटी समेत समाचारों के संगठनों ने तो उल्टे राज्यों और केन्द्र सरकार से शिकायत की- विज्ञापन कम मिल रहे हैं। जो मिले उनका भुगतान बाकी है। वेतन बोर्ड के समक्ष पत्रकारों का मज़बूती से पक्ष तैयार करने वाले मनोहर अंधारे  जीवन के नवें दशक के पास पहुंच चुके हैं। उनके दिवंगत सहयोगी प्रकाश देशपांडे की याद में सर्वोत्कृष्ट संगठक पुरस्कार दिया जाता है। अंधारे ने सैकड़ों किलोमीटर दूर से देशपांडे को याद किया। यह बात और है कि अब कोई वेतन बोर्ड की बात नहीं करता। नए वेतन बोर्ड की मांग मांग? मज़ाक मत करिए। कटौती और नौकरी से विदाई का संकट है।  अंधारे और प्रकाश जिस संगठन के लिए काम करते थे, उसकी आजीवन मालिकी कब्जिया चुके लोग इन दिनों क्या कर रहे हैं? स्वायत्त समाचार संगठनों का विध्वंस करने के लिए उकसा रहे हैं। मनोहारी दृश्य है।

कोरोना-काल में संवाद 

किसी पंचायत से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के वेबिनार या ई संगोष्ठी में सबसे अधिक दिखने वाला चेहरा सुरेश प्रभू का है। प्रभू जी-20 आदि के लिए प्रधानमंत्री के शेरपा हैं। यह आप जानते हैं।  प्रभु को पीछे छोडऩे वाले हैं-नितीन गडकरी। पांच करोड़ से अधिक लोगों से संवाद करने का कीर्तिमान सडक़ छाप और सूक्ष्म कारोबारी के नाम है। सडक़ और छोटे उद्योग उनके मंत्रालय हैं। गडकरी ने हाल में अमेरिकी व्यवसाय से जुड़े समुदाय से बात की। सरकारी संवाद माध्यमों ने पर्याप्त महत्व नहीं दिया। गडकरी का नाम लेने से शिखर की चमक दमक फीकी नहीं पडऩी चाहिए। संवाद माध्यमों में ई संगोष्ठी का सेहरा  के जी सुरेश के सिर पर कायम है। पत्रकारिता से जुड़े विषयों पर विचारों का आदान प्रदान करने में वे अग्रणी हैं। सक्रिय पत्रकारिता के बाद सुरेश भारतीय जन संचार संस्थान के  महानिदेशक बने। उनकी रचनात्मकता शायद नौकरशाहों को अखरी। पत्रकारिता प्रशिक्षण से नौकरशाह उन्हें नहीं रोक पाए।

संपादकी से सामना

पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स ने 19 से 30 जून के बीच सर्वेक्षण कराया। भारत सहित 52 देशों की महिला पत्रकारों का हाल जाना। तीन चौथाई महिला पत्रकारों ने स्वीकार किया कि कोरोना-काल में तनाव बढ़ा। आधी से अधिक महिलाओं को महामारी के दौरान कई मोर्चों पर जूझना पड़ा। सेहत संबंधी परेशानी झेलने वाली महिलाओं में से 75 प्रतिशत की समस्या नींद से जुड़ी थी। साठ प्रतिशत को संस्थानों ने मर्जी के मुताबिक काम करने की छूट दी। 30 फीसदी घर से काम कर रही थीं। 15 प्रतिशत इस दौरान भी मैदानी दायित्व निभाती रहीं। रपट में कष्ट जाने। अब भारतीय महिलाओं से संबंधित खुश खबरी पर ध्यान दें। राजनीतिक दायित्व संभालने वाले नेता ने संपादकी त्याग कर प्रेमिका को संपादक नियुक्त किया। नेता के चरित्र पर शक मत करना। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री  उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि कोरोना-काल में सामना की संपादक बनीं। मराठी और हिंदी में निकलने वाला सामना शिवसेना का मुखपत्र है। मुख्यमंत्री यानी पूर्व संपादक का जन्मदिन पर  इंटरव्यू कार्यकारी संपादक संजय राऊत ने किया। वर्तमान संपादक ने चाय पिलाई। एक और खबर। अंगरेजी के दि हिंदू की संपादक रह चुकीं मालिनी पार्थसारथी समूह की नई अध्यक्ष होंगी।

(लेखक दैनिक भास्कर नागपुर के समूह संपादक हैं)

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