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छत्तीसगढ़ में टाइगर कैसे बढ़ें..?
29-Jul-2020 1:43 PM
छत्तीसगढ़ में टाइगर कैसे बढ़ें..?

चार शावकों के साथ दिखाई देती टाइगर की तस्वीर बांधवगढ़ नेशनल पार्क की है। वहीं पानी में बच्चों के साथ दिखाई देती बाघिन की तस्वीर कान्हा राष्ट्रीय उद्यान से ली गई है।

  29 जुलाई : ग्लोबल टाइगर डे  

- सत्यप्रकाश पाण्डेय
हर साल पूरे विश्व में 29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस मनाया जाता है। बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है। यह देश की शक्ति, शान, सतर्कता, बुद्धि और धीरज का प्रतीक माना जाता है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र को छोडक़र पूरे देश में पाया जाता है। शुष्क खुले जंगल, नम और सदाबहार वन से लेकर मैंग्रोव दलदलों तक इसका क्षेत्र फैला हुआ है। चिंता की बात ये है कि बाघ को वन्यजीवों की लुप्त होती प्रजाति की सूची में रखा गया है। लेकिन राहत की बात ये है कि सेव टाइगर जैसे राष्ट्रीय अभियानों की बदौलत देश में बाघों की संख्या में वृद्धि हुई है।

बाघ संरक्षण के काम को प्रोत्साहित करने, उनकी घटती संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित एक शिखर सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाने की घोषणा हुई थी। इस सम्मेलन में मौजूद विभिन्न देशों की सरकारों ने 2022 तक बाघों की आबादी को दोगुना करने का लक्ष्य तय किया था।

क्या है इस दिवस का महत्व
बाघों की लुप्त होती प्रजातियों की ओर ध्यान आकर्षित करने, उनकी रक्षा करने और बाघों के पारिस्थितिकीय महत्व बताने के लिए अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन सोसाइटी ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2017 में 116 और 2018 में 85 बाघों की मौत हुई है। 2018 में हुई गणना के अनुसार बाघों की संख्या 308 है। साल 2016 में 120 बाघों की मौतें हुईं थीं, जो साल 2006 के बाद सबसे ज्यादा थी। वहीं, साल 2015 में 80 बाघों की मौत की पुष्टि की गई थी। इस दिवस के जरिए बाघ के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाता है।

बाघों को लेकर अच्छी खबर क्या है?

बाघों के बारे में यह जानकर आपको खुशी होगी कि देश में बाघों की संख्या बढ़ी है। विश्व बाघ दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार को ही देश में बाघों की गणना की विस्तृत रिपोर्ट जारी करते हुए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में मौजूद हैं। मालूम हो कि बाघों की गणना की प्रारंभिक रिपोर्ट पिछले साल ही आ चुकी है। इसमें देश में बाघों की संख्या में भारी बढ़ोतरी का खुलासा हुआ था। साल 2018 की रिपोर्ट के तहत देश में बाघों की संख्या बढक़र 2967 हो गई है। पूर्व में हुई गणना के लिहाज से देखा जाए तो साल 2014 के मुकाबले 741 बाघों की बढ़ोतरी हुई है।

अन्य देशों की भी मदद करेगा भारत

बाघों के संरक्षण को लेकर भारत अब दुनिया के दूसरे देशों की मदद करेगा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने दुनियाभर में 13 ऐसे देशों की पहचान की है, जहां मौजूदा समय में बाघ पाए जाते हैं, लेकिन संरक्षण के अभाव में इनकी संख्या कम है। ऐसे में भारत इन देशों को बाघों के संरक्षण के लिए बेहतर तकनीक और योजना मुहैया कराएगा।

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने वर्ष 2018 में हुई बाघों की गणना की रिपोर्ट जारी कर दी है। इसमें अचानकमार टाइगर रिजर्व में केवल पांच बाघ होने की पुष्टि हुई है। जबकि 2014 की गणना में यहां 12 बाघ थे। एकाएक संख्या घटने से वन विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है।

छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहद चिंताजनक

राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के निर्देश पर चार साल में एक साथ देशभर के टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना होती है। इसी के तहत 2018 में अंतिम में गणना हुई थी। ट्रैप कैमरे और पगमार्क के आधार पर टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने रिपोर्ट भेजी। इसके आधार पर एनटीसीए ने 29 जुलाई 2019 को राज्यवार आंकड़ा जारी किया था। इसमें छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहद चिंताजनक थी।

देशभर में जहां संख्या में 33 प्रतिशत इजाफा हुआ है। वहीं छत्तीसगढ़ में 60 प्रतिशत कमी आई है। रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ में 46 से घटकर बाघों की संख्या 19 पहुंच गई। एनटीसीए ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के एक दिन पहले मंगलवार को आंकड़ा जारी किया। इसमें अचानकमार टाइगर रिजर्व में केवल पांच बाघ होने की पुष्टि की गई है।

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