सामान्य ज्ञान
भारत का राष्ट्रीय पशु बाघ (टाइगर) यूं ही दुनिया भर में मशहूर नहीं है। बाघ बिल्ली प्रजाति का सबसे बड़ा जानवर है। वयस्क बाघ का वजन 300 किलोग्राम तक हो सकता हैै। वल्र्ड वाइड फंड के मुताबिक एक बाघ अधिकतम 26 साल तक की उम्र तक जी सकता है।
बाघ शिकार करने के लिए बना है। उनके ब्लेड जैसे तेज पंजे, ताकतवर पैर, बड़े व नुकीले दांत और ताकतवर जबड़े एक साथ काम करते है। बाघों को बहुत ज्यादा मीट की जरूरत होती है। एक वयस्क बाघ एक दिन में 40 किलोग्राम मांस तक खा सकता है। बाघ बहुत एकाकी जीवन जीते हैं। हालांकि मादा दो साल तक बच्चों का पालन पोषण करती है, लेकिन उसके बाद बच्चे अपना-अपना इलाका खोजने निकल पड़ते हैं। लालन पालन के दौरान पिता कभी कभार बच्चों से मिलने आता है। एक ही परिवार की मादा बाघिनें अपना इलाका साझा भी करती है। बिल्लियों की प्रजाति में बाघ अकेला ऐसा जानवर है जिसे पानी में खेलना और तैरना बेहद पंसद है। बिल्ली, तेंदुआ, चीता और शेर पानी में घुसने से कतराते हैं। लेकिन बाघ पानी में तैरकर भी शिकार करता है। बाघ आगे वाले पैरों को पतवार की तरह इस्तेमाल करता है।
100 साल पहले दुनिया भर में करीब 1 लाख बाघ थे। वे तुर्की से लेकर दक्षिण पूर्वी एशिया तक फैले थे, लेकिन आज जंगलों में सिर्फ 3 हजार से 4 हजार बाघ ही बचे हैं। बाघों की नौ उपप्रजातियां लुप्त हो चुकी हैं। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में हुए अंधाधुंध शिकार ने बाघों का कई इलाकों से सफाया कर दिया। जंगलों की कटाई ने भी 93 फीसदी बाघों की जान ली। दूसरे जंगली जानवरों के अवैध शिकार ने बाघों को जंगल में भूखा मार दिया। इंसान के साथ उनका संघर्ष आज भी जारी है।
भारत और बांग्लादेश के बीच बसे सुंदरबन को ही ले लीजिए, मैंग्रोव जंगलों वाला यह इलाका समुद्र का जलस्तर बढऩे से डूब रहा है। इसका सीधा असर वहां रहने वाले रॉयल बंगाल टाइगर पर पड़ा है। वल्र्ड वाइड फंड के शोध के मुताबिक वहां के बाघों को मदद की सख्त जरूरत है। माहौल इतना भी निराशाजनक नहीं है। संरक्षण संस्थाओं ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2016 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त दुनिया भर में करीब 3,900 बाघ हैं। 2010 में यह संख्या 3,200 थी. भारत जैसे देशों में बाघों के संरक्षण के लिए अच्छा काम किया जा रहा है।