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मंदिर और महूरत को लेकर दिग्विजय के बवाली ट्वीट
03-Aug-2020 10:25 AM
मंदिर और महूरत को लेकर दिग्विजय के बवाली ट्वीट

'छत्तीसगढ़' न्यूज़ डेस्क 

कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने राम मंंदिर के भूमिपूजन के महूरत को लेकर कुछ दिन पहले सवाल उठाये थे, अब उन्होंने ट्विटर पर हमला बोला है. उन्होंने लिखा है-

सनातन हिंदू धर्म की मान्यताओं को नज़र अंदाज करने का नतीजा।

१- राम मंदिर के समस्त पुजारी कोरोना पोजिटिव

२- उत्तर प्रदेश की मंत्री कमला रानी वरुण का कोरोना से स्वर्गवास

३- उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष कोरोना पोजिटिव अस्पताल में।

४- भारत के गृह मंत्री अमित शाह कोरोना पोजिटिव अस्पताल में।

५- मध्यप्रदेश के भाजपा के मुख्यमंत्री व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कोरोना पोजिटिव अस्पताल में

६- कर्नाटक के भाजपा के मुख्यमंत्री कोरोना पोजिटिव अस्पताल में।

ट्वीट लोड होने में कुछ वक्त लग सकता है. 

 

सनातन हिंदू धर्म की मान्यताओं को नज़र अंदाज करने का नतीजा।
१- राम मंदिर के समस्त पुजारी कोरोना पोजिटिव
२- उत्तर प्रदेश की मंत्री कमला रानी वरुण का कोरोना से स्वर्गवास
३- उत्तर प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष कोरोना पोजिटिव अस्पताल में।

— digvijaya singh (@digvijaya_28) August 3, 2020

 

४- भारत के गृह मंत्री अमित शाह कोरोना पोजिटिव अस्पताल में।
५- मध्यप्रदेश के भाजपा के मुख्यमंत्री व भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कोरोना पोजिटिव अस्पताल में
६- कर्नाटक के भाजपा के मुख्यमंत्री कोरोना पोजिटिव अस्पताल में।

— digvijaya singh (@digvijaya_28) August 3, 2020

 

भगवान राम करोड़ों हिंदुओं के आस्था के केंद्र हैं और हज़ारों वर्षों की हमारे धर्म की स्थापित मान्यताओं के साथ खिलवाड़ मत करिए।

— digvijaya singh (@digvijaya_28) August 3, 2020

दिग्विजय सिंह ने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती का एक बयान भी पोस्ट किया है और कहा है कि भगवान राम करोड़ों हिंदुओं के आस्था के केंद्र हैं और हज़ारों वर्षों की हमारे धर्म की स्थापित मान्यताओं के साथ खिलवाड़ मत करिए।

अयोध्या में भगवान राम मंदिर निर्माण के शिलान्यास के अशुभ मुहूर्त में कराये जाने पर हमारे हिंदू (सनातन) धर्म के द्वारका व जोशीमठ  के सबसे वरिष्ठ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज का संदेश व शास्त्रों के आधार पर प्रमाणित तथ्यों पर वक्तव्य अवश्य देखें।

दुख हुआ। परिवार जनों को हमारी संवेदनाएँ। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। आरोपीयों को तत्काल गिरफ़्तार कर सजा दिलाना चाहिए।

मैं सहमत हूँ आचार्य जी। इनका धर्म है 'हिंदुत्व' जिसका सनातन धर्म व सनातनी परंपराओं से कोई सरोकार नहीं। सारी मर्यादाएँ इन्होंने तोड़ दीं। अब मुहुर्त भी मोदी जी ही निकालेंगे और वे ही शिलान्यास करेंगे। जिन कारसेवकों ने जान गँवाई उनके परिवारों को भी इन्होंने भुला दिया।

पूरी पार्टी को ना करें पर पूरे मंत्री परिषद को तो कोरोंटीन होना चाहिए। ना जाने कितने अयोध्या वासीयों को यह कोरोना संक्रमित करेंगे। नियम सब के लिए एक होना चाहिए।

5 अगस्त को अयोध्या राम मंदिर निर्माण के आरंभ का कोई मुहूर्त नहीं

- जगद्गुरु शंकराचार्य 

सनातन धर्म के मूल आधार वेद हैं। वेदों के अनुसार किए गए कर्म यज्ञ कहे जाते हैं जो पूर्णतया काल गणना पर आधारित हैं। काल गणना और कालखंड विशेष के शुभ-अशुभ का ज्ञान ज्योतिष् शास्त्र से होता है। इसीलिए ज्योतिष् को वेदांग कहा गया है।

इसीलिए सनातन धर्म का प्रत्येक अनुयायी अपने कार्य उत्तम कालखंड में आरंभ करते हैं जिसे शुभ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है।

मुहूर्त वैसे तो दो घटी अर्थात् 48 मिनट का एक कालखंड है जो सूर्योदय से आरंभ होकर दिन के छोटे-बड़े होने के कारण 15 या 16 बार दोहराता है और ऐसा ही रात्रि में भी होता है। अतः एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय के बीच के अंतराल में 30-32 मुहूर्त होते हैं। शुभ मुहूर्त को मुहूर्त चिंतामणि में *क्रियाकलापप्रतिपत्ति हेतुम्* कहकर कार्य सिद्धि में कारण माना गया है।

अपने हर छोटे-बड़े कार्य को शुभ मुहूर्त में सम्पन्न करने वाला सनातनी समाज आज दुःखी है कि पूरे देश के करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र राममन्दिर बिना शुभ मुहूर्त के आरंभ होने जा रहा है - जैसी कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के माध्यम से आगामी 5 अगस्त 2020 को शिलान्यास की घोषणा की गई है।

विदित हो कि 5 अगस्त 2020 को दक्षिणायन भाद्रपद मास कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। शास्त्रों में भाद्रपद मास में गृह-मंदिरारंभ निषिद्ध है।

विष्णु धर्म शास्त्र में स्पष्ट कहा गया है कि *प्रोष्ठपादे विनश्यति* माने भाद्रपद मास में किया गया शुभारंभ विनाश का कारण होता है।

वास्तु शास्त्र का कथन है कि *भाद्रपदे न कुर्यात् सर्वथा गृहम् ।* दैवज्ञ बल्लभ नाम के ग्रंथ में कहा गया है कि *निः स्वं भाद्रपदे* अर्थात् भाद्रपद में किया गया गृहारंभ निर्धनता लाता है। वास्तु प्रदीप भी इसी बात को अपने शब्दों में *हानिर्भाद्रपदे तथा* में कहता है। वास्तु राजबल्लभ का वचन भी देखिए जो *शून्यं भाद्रपदे* अर्थात् भाद्रपद का आरंभ शून्य फल देता है ,कहकर भाद्रपद में इसका निषेध करता है।

यह भी कहा जा रहा है कि उस दिन अभिजित मुहूर्त होने के कारण शुभ मुहूर्त है, लेकिन यह बात वही कह सकता है जिसे इस बारे में कुछ भी पता न हो। क्योंकि थोड़ी ज्योतिष् जानने वाले भी जानते हैं कि बुधवार को अभिजित निषिद्ध है। मुहूर्त चिंतामणि के विवाह प्रकरण में *बुधे चाभिजित्स्यात्,,, मुहूर्ता निषिद्धाः* कहकर बुधवार को अभिजित् का सर्वथा निषेध कर दिया है।

यह कहना भी बरगलाना ही है कि कर्क का सूर्य रहने तक शिलान्यास हो सकता है जबकि *श्रावणे सिंहकर्क्योः* यह अपवाद श्रावण महीने तक के लिए है, भाद्रपद के लिए नहीं। जबकि 5 अगस्त को भाद्रपद महीना है, श्रावण नहीं।

इसी के आगे के श्लोक में कहा है *भाद्रे सिंहगते* माने कुछ विद्वानों का मत है कि भाद्र में सिंह राशिगत सूर्य हो तो हो सकता है पर इन कुछ विद्वानों के मत में भी कर्क के सूर्य होने पर भाद्रपद में भी शिलान्यास गृहारंभ नहीं बनता है।

इसलिए इस घोषित तिथि में शुभ मुहूर्त कत्तई ना होने के कारण इस अवसर पर किया गया आरंभ देश को बड़ी चोट पहुंचाने वाला हो सकता है।

स्मरण रहे कि काशी में विश्वनाथ मंदिर के आस-पास के मंदिरों को तोड़ते समय भी हमने चेताया था कि यह कार्य पूरे विश्व को समस्या में डालेगा पर बात अनसुनी करने का परिणाम सब लोग देख रहे हैं।

अगर अयोध्या जी में आराधना स्थल अर्थात् मंदिर बनाया जाना है तो उसे शुभ मुहूर्त में शास्त्र विधान के अनुसार ही बनाया जाना चाहिए। पर ऐसा न करके मनमानी किए जाने से यह आशंका स्पष्ट हो रही है कि वहां मंदिर नहीं संघ कार्यालय बनाया जा रहा है। 

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