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हिमानी शिवपुरी ने एनएसडी के दिनों को याद किया
03-Aug-2020 5:52 PM
हिमानी शिवपुरी ने एनएसडी के दिनों को याद किया

सिद्धि जैन 
नई दिल्ली, 3 अगस्त (आईएएनएस)| भारतीय सिनेमा और थिएटर की जानी मानी हस्ती अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी ने एनएसडी के दिनों को याद किया है।

अभिनेत्री ने 'कुछ कुछ होता है' और 'दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे' जैसी फिल्मों में अभिनय किया है। उनका कहना है कि जब वह नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में थीं तो वह सिर्फ थिएटर के लिए जीती थीं।

इन दिनों शिवपुरी को जी थिएटर के टेलीप्ले 'हमीदाबाई की कोठी' में देखा जा रहा है, जो एक पीरियड ड्रामा है। वह मरती हुई कोठी परंपरा की एक उत्साही कलाकार हमीदाबाई का किरदार निभा रही हैं।

उन्होंने आईएएनस को इंटरव्यू दिया, जिसमें उन्होंने खुद को थिएटर प्रेमी बताया।

पूछे जाने पर कि किसी भी थिएटर और स्क्रीन में कैरेक्टर खुद में ढालने की क्या प्रक्रिया है, जिसपर उन्होंने बताया कि "किसी में जाने के लिए प्रक्रिया एक ही है चाहे वह एक मंच या स्क्रीन हो। मैं जिस डिटेलिंग का पालन करता हूं, वह है कि मैं स्क्रिप्ट से सारी जानकारी इकट्ठा करती हूं, मुझे किरदार में ढलने के लिए स्क्रिप्ट की जानकारी महत्वपूर्ण लगती है।"

अभिनय के क्षेत्र में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगता कि कोई अंतर है। यह सिर्फ दो प्रकार का होता है। अच्छा या बुरा अभिनय। अच्छे अभिनय के लिए आपको सहजता के साथ मेहनत करनी पड़ती है और बुरे अभिनय के लिए अपको मेहनत करने की कोई आवश्यकता नहीं होती। आप जितना चाहें उतना बुरा हो सकते हैं।"

उन्होंने अपने एनएसडी के दिनों को याद करते हुए बताया, "एनएसडी के दिन जादू भरे थे। मैं जीती भी थिएटर के लिए, सांसें भी इसी के लिए लेती थी। दिन से रात तक तरह तरह के क्लास लेते थे, जिसमें हम प्रोडक्शन से लेकर बैकस्टेज तक सब सिखाते थे। अगर आप बैकस्टेज पर हैं तो आपको ड्रेस से लेकर लाइट तक सब ख्याल रखना होता है।"

उन्होंने आगे बताया, "यहां दुनिया भर से निर्देशक आते थे और मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे कुछ बेहतरीन निर्देशकों के साथ काम करने का मौका मिला। मेरा पहला प्रोडक्शन बीवी कारंत के साथ था, जहां मैं विद्या सुंदर का हिस्सा थी। फिर मैंने एम. के. रैना के साथ कुछ एक्टिंग वर्कशॉप की, जिन्होंने 'चेरी या चिरप' किया, जिसने मुझे स्टाइलिज्ड म्यूजिकल से लेकर पूर्णरूपेण रियलिस्टिक नाटकों का हिस्सा बनने का मौका दिया।

अभिनेत्री ने कहा, "हम सुंदर कलाकृतियों को देखने के लिए गैलरी में जाते थे और कुछ रातें महान जाकिर हुसैन, अल्लाह रक्खा खान और उस्ताद विलायत खान की जुगलबंदी सुनने में व्यतीत होती थीं। यहां पूरी तरह से कलात्मक माहौल था और एक सुंदर अनुभव था। मैंने पूरी तरह थिएटर को समर्पित जीवन जीया है।"

 

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