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हमेशा यह महसूस किया कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा : न्यायाधीश लिब्रहान
03-Aug-2020 6:12 PM
हमेशा यह महसूस किया कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा : न्यायाधीश लिब्रहान

नई दिल्ली, 3 अगस्त अयोध्या में पांच अगस्त को राम मंदिर का शिलान्यास समारोह होगा। इस बीच बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल लोगों की पहचान और जांच करने वाले सेवानिवृत्त न्यायाधीश मनमोहन सिंह लिब्रहान ने कहा कि उन्हें हमेशा से यह लगा कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा।

भूमि पूजन समारोह से दो दिन पहले न्यायमूर्ति लिब्रहान ने आईएएनएस से कहा, व्यक्तिगत रूप से मुझे हमेशा से यह महसूस होता रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा।

पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने बाबरी मस्जिद विध्वंस के 10 दिनों के भीतर न्यायमूर्ति लिब्रहान की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था।

वह पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज थे। बाद में उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया, जहां से वह 11 नवंबर 2000 को सेवानिवृत्त हुए।

उन्होंने लिब्रहान आयोग का नेतृत्व किया, जिसे अपनी जांच पूरी करने में 17 साल लगे, जिसने घटनाओं के संबंध में सभी तथ्यों और परिस्थितियों को उजागर किया, जो छह दिसंबर 1992 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्थल पर हुई थी। इस पूछताछ में भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं को मस्जिद के विध्वंस के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। 30 जून 2009 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को रिपोर्ट सौंपी गई थी।

जब उनसे पूछा कि उन्हें यह क्यों लगता था कि विवादित जगह पर राम मंदिर बनाया जाएगा, तो न्यायाधीश लिब्रहान ने जवाब दिया, यह एक निजी भावना है। मेरे पास इस बात को बताने के लिए कुछ नहीं है कि मुझे यह एहसास क्यों होता रहा है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी को अयोध्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। यह पूछने पर कि इस मामले पर शीर्ष अदालत के फैसले की आलोचना जारी है, उन्होंने जवाब दिया, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर फैसला दिया है। लोगों को इसका सम्मान करना चाहिए और फैसले की आलोचना करने का कोई मतलब नहीं है।

लिब्रहान आयोग ने निष्कर्ष निकाला था कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस एक सुनियोजित हमला था, जिसे आरएसएस कैडर की एक विशेष टीम ने अंजाम दिया था, जिसकी सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने फैसले में पुष्टि की है।

लिब्रहान से सवाल पूछा गया कि जब आप इस तरह के महत्वपूर्ण मुद्दे की जांच कर रहे थे तो क्या आपको किसी तरह के दबाव का सामना करना पड़ा था, उन्होंने जवाब दिया, मैंने कभी किसी दबाव का सामना नहीं किया।

नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की एक पीठ ने सर्वसम्मति से राम मंदिर के निर्माण के लिए हिंदुओं को विवादित भूमि सौंप दी थी।(ians)

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