सामान्य ज्ञान

पाइराइट
06-Aug-2020 12:32 PM
पाइराइट

पाइराइट एक प्रकार का उपरत्न है।  इस उपरत्न का यह नाम ग्रीक शब्द पाइर  से बना है जिसका अर्थ है - आग।  यह एक ऐसा खनिज है जो सोने के साथ विलक्षण समानता रखता है। यह उपरत्न सोने का भ्रम पैदा करता है और व्यक्ति इसकी चमक देखकर धोखा जाते हैं। इसलिए इसे फाल्स गोल्ड भी कहा जाता है, लेकिन यह बात भी सत्य है कि इस उपरत्नमें थोड़ी सी मात्रा सोने की अवश्य होती है जिससे यह उपरत्न बहुत कीमती बन जाता है। यह उपरत्न सोने के सादृश्य दिखने के कारण पारंपरिक रुप से धन, रुपया तथा अच्छे भाग्य का प्रतीक बन गया है। सूर्य की भांति चमकने वाला रंग इसे सूर्य के साथ जोड़ता है।

बाजार में जवाहारियों द्वारा यह उपरत्न मर्कासाइट के नाम से भी जाना जाता है। यह पीतल के समान दिखने वाली एक धातु है जो गहने बनाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह उपरत्न व्यापक रुप से पाया जाता है। प्राचीन समय में मेक्सिको में पाइराइट से स्क्राइंग शीशा बनाया जाता था। इन शीशों का निर्माण एक ओर से पॉलिश करके उसे समतल बनाया जाता था और शीशे के दूसरी तरफ गोल भाग की ओर स्क्राइंग प्रक्रिया के लिए कुछ रहस्यमयी नक्काशी की जाती थी। यह रहस्यमयी नक्काशी, स्क्राइंग प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाती थी।
संसार की सभी संस्कृतियों में इस उपरत्न से ताबीज बनाने का काम किया जाता था जिससे कि व्यक्ति सुरक्षित रहे। यह पहला उपरत्न था जो चिकित्सा पद्धति में उपयोग में लाया गया था।  
यह उपरत्न पेरु, दक्षिण अफ्रीका, बोलीविया, इलीनोइस , कोलोरैडो, अमेरीका के मिसूरी और न्यूयॉर्क, जर्मनी, स्पेन, रुस, इटली, पेन्सिल्वेनिया आदि स्थानों में पाया जाता है।
 

आचार्य पराशर
नारद और वशिष्ठ के फलित ज्योतिष सिद्धांतों के संबंध में आचार्य पराशर रहे हंै।  यह भी कहा जाता है, कि कलयुग में पराशर के समान कोई ज्योतिष शास्त्री नहीं हुआ। ज्योतिष शास्त्रों का अध्ययन करने वालों के लिए इनके द्वारा लिखे ज्योतिष शास्त्र ज्ञान गंगा के समान है। इनके द्वारा लिखे गए ज्योतिष शास्त्र, जिज्ञासा शान्त करते हंै तथा व्यावहारिक सिद्धांतों के निकट होते हैं।

ज्योतिष के तीन अंग है, इसमें होरा, गणित, और संहिता में होरा सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। होरा शास्त्र की रचना महर्षि पराशर के द्वारा हुई है। अपने ज्योतिष गुणों के कारण आज यह ज्योतिष का सर्वाधिक प्रसिद्ध शास्त्र बन गया है। आचार्य पराशर के जन्म समय और विवरण की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। कौटिल्य शास्त्र में भी महर्षि पराशर का वर्णन आता है। पराशर का नाम प्राचीन काल के शास्त्रियों में प्रसिद्ध रहे है। पराशर के द्वारा लिखे बृ्हतपराशरहोरा शास्त्र 17 अध्यायों में लिखा गया है।
 

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