सामान्य ज्ञान
अकैसिया निलोटिका (अरबी गोंद का वृक्ष,babul, Egyptian thorn, or prickly acacia को ऑस्ट्रेलिया में थॉर्न मिमोसा, दक्षिण अफ्रीका में लेक्केरुइक्पियुल और भारत में बबूल या कीकर कहते हैं। यह एक अकैसिया प्रजाति का वृक्ष है। यह अफ्रीका महाद्वीप एवं भारतीय उपमहाद्वीप का मूल वृक्ष है।
उत्तरी भारत में बबूल की हरी पतली टहनियां दातुन के काम आती हैं। बबूल की दातुन दांतों को स्वच्छ और स्वस्थ रखती हैं। बबूल की लकड़ी का कोयला भी अच्छा होता है। हमारे यहां दो तरह के बबूल अधिकतर पाए और उगाये जाते हैं। एक देशी बबूल जो देर से होता है और दूसरा मासकीट नामक बबूल। बबूल लगा कर पानी के कटाव को रोका जा सकता है। जब रेगिस्तान अच्छी भूमि की ओर फैलने लगता है, तब बबूल के जंगल लगा कर रेगिस्तान के इस आक्रमण को रोका जा सकता है। इस प्रकार पर्यावरण को सुधारने में बबूल का अच्छा खासा उपयोग हो सकता है। बबूल की लकड़ी बहुत मजबूत होती है। उसमें घुन नहीं लगता। वह खेती के औजार बनाने के काम आती है।