सामान्य ज्ञान
अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी लोगों में खेती की पारपंरिक विधि शिइंग (झूम) का प्रयोग होता है। इस कृषि विधि की मुख्य पैदावार चावल, मक्का , जौ और मा् थी (कुटू) है। जौ और चावल से बनी बियर चाय की तरह लोकप्रिय पेय है । कुछ जनजातियां भोजन के लिए शिकार, मत्स्य पालन और वनोपज संग्रह भी करती है। खेती योग्य भूमि में आधे से कम हिस्से पर कृषि की पारंपरिक विधियों का प्रयोग होता है। इन क्षेत्रों की मुख्य फसल चावल, मक्का, जौ, गेहूं, सरसों और गन्ना है। मिथुन यहां का मुख्य पालतू पशु है जबकि ऊंचाइयों पर याक का महत्व बढ़ जाता है। मोंपा यहां की मुख्य पालतू भेड़ है।
अरुणाचल प्रदेश में प्रचुर वनसंपदा , जलविद्युत क्षेत्र, खनिज तेल और अन्य खनिजों की खदानें हैं। जिनका अभी तक पूर्ण रूप से उपयोग नहीं हो पा रहा है। राज्य में कोई बड़ा औद्योगिक इकाई नहीं है। हस्तकला उद्योग, में टोकरी निर्माण, बुनाई और गलीचे बनाना प्रमुुख है। लघु उद्योगों में चावल और तेल की मिलें, फल प्रसंस्करण इकाई, स्टील निर्माण, वनोपज आधारित उद्योग और रेशम उद्योग प्रमुख हैं।