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चीन से इलेक्ट्रॉनिक, सजावटी सामान के आयात पर कसी लगाम: कारोबारी संगठन
11-Aug-2020 6:32 PM
चीन से इलेक्ट्रॉनिक, सजावटी सामान के आयात पर कसी लगाम: कारोबारी संगठन

नई दिल्ली, 11 अगस्त। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू उद्योग को बढ़ावा देने और घटिया आयातित माल पर नकेल कसने के मद्देनजर केंद्र सरकार के सख्त कदमों से चीन से इलेक्ट्रॉनिक और प्लास्टिक के सामान समेत सजावटी चीजों के आयात पर लगाम कस गई है। कारोबारी बताते हैं कि चीन से इन उत्पादों का आयात 50 से 60 फीसदी तक घट गया है और आने वाले दिनों में और लगाम लग सकती है क्योंकि हर कोई चाहता है कि घरेलू उत्पाद फले-फूले।

चीनी कस्टम विभाग के हालिया आंकड़े भी बताते हैं कि बीते सात महीने में चीन से भारत का आयात पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 24.7 फीसदी घटकर 32.2 अरब डॉलर रह गया है। खासतौर से लॉकडाउन के दौरान अप्रैल और मई में आयात में भारी कमी आई। आंकड़ों पर गौर करें तो जून और बीते महीनों के मुकाबले जुलाई में चीनी आयात बढ़ा है लेकिन पिछले साल के मुकाबले कम है।

आयातक बताते हैं कि दिवाली के तीन महीने पहले ही सजावटी सामानों के ऑर्डर बुक हो जाते थे, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक व प्लास्टिक के सामान के ऑर्डर बहुत कम मिल रहे हैं।

ऑल दिल्ली कंप्यूटर ट्रेडर एसोसिएशन के प्रेसीडेंट महेंद्र अग्रवाल ने बताया कि चीन से कंप्यूटर और इसके पार्ट्स का आयात 50 से 60 फीसदी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय मानक ब्यूरो यानी बीआईएस के मानक अनिवार्य करने की शर्तों को लागू करने जा रही है, जिसके बाद मानकों पर खरा उतरने वाली वस्तुओं के आयात की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी वजह है जिससे चीन से आयात मांग कम है। अग्रवाल ने कहा कि गलवान घाटी की घटना के बाद आयातकों में सरकार की नीतियों में बदलाव होने और आयात शुल्क बढ़ने की भी आशंका बनी हुई है।

इसी प्रकार, प्लास्टिक के सामान के आयातक दिनेश गुप्ता ने कहा कि चीन से अभी आयात बंद नहीं हुआ है, लेकिन इसमें 50 फीसदी तक कमी जरूर आ गई है। उन्होंने बताया कि प्लास्टिक के पायदान समेत घरों में इस्तेमाल होने वाले चीनी सामान काफी सस्ते होते हैं, लेकिन उनका आयात इस बार बहुत कम हो रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय उत्पाद की तुलना में उनकी क्वालिटी अच्छी नहीं होती है, लेकिन सस्ता होता है।

चीन से प्लास्टिक के सामान का आयात घटने की वजह पूछने पर गुप्ता ने कहा कि पहली वहज आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना और दूसरी घटिया व सस्ते चीनी सामान का बहिष्कार है। उन्होंने कहा कि सीमा पर चीन और भारत की सेना के बीच झपड़ की घटना के बाद राष्ट्रीय भावना से चीनी वस्तुओं के इस्तेमाल के प्रति लोगों की दिलचस्पी कम हुई है।

लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की सेना के साथ हुई झड़प में भारतीय सेना के एक अधिकारी समेत 20 सैनिक शहीद हो गए थे, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आई है।

कारोबारी बताते हैं कि चीन से भारत 4,000 से ज्यादा तरह के उत्पादों का आयात करता है, जिनमें ज्यादातर उत्पादों का आयात दूसरे देशों से महंगा होता है, इसलिए इनके लिए चीन पर निर्भरता बनी हुई है। मगर, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने पर आत्मनिर्भरता लाई जा सकती है। हालांकि हाल के दिनों में बैटरी, मोबाइल फोन, स्पीकर, इलेक्ट्रिक के सामान आदि की आयात मांग काफी कम हो गई है।

इंडियन इंपोर्ट्स चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के डायरेक्टर टी. के. पांडेय ने कहा कि इस समय गैर-जरूरी वस्तुओं का आयात चीन से नि:संदेह घट गया है, लेकिन जो जरूरी चीजें हैं उनका आयात हो रहा है। पांडेय ने कहा कि चीन से आने वाले कच्चे माल को नहीं रोका जा सकता है क्योंकि उससे घरेलू विनिर्माण की लागत बढ़ जाएगी और चीजें महंगी हो जाएंगी।

वाणिज्य मंत्रालय ने 371 आयातित मदों को चिन्हित किया है, जिनके लिए बीआईएस द्वारा मानक तय किए जाएंगे। इनमें बिजली के सामान, फार्मास्युटिकल्स, केमिकल्स व स्टील के सामान और खिलौने समेत कई अन्य उत्पाद शामिल हैं।

भारत सबसे ज्यादा खिलौने चीन से ही आयात करता है, लेकिन भारत सरकार द्वारा फरवरी में जारी खिलौना, गुणवत्ता नियंत्रण आदेश एक सितंबर से प्रभावी होने वाला है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग जारी इस आदेश के अनुसार, खिलौने पर भारतीय मानक चिन्ह यानी आईएस मार्क का इस्तेमाल अनिवार्य होगा। इससे चीन से सस्ते खिलौने के आयात पर रोक लगेगी।(ians)

 

 

 

 

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