सामान्य ज्ञान
डिमेंशिया एक प्रकार का मस्तिष्क संबंधी रोग है। हिन्दी में इसे मनोभ्रंश कहते हैं। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत भी कमज़ोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौनसा साल या महीना चल रहा है। बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता। उनका व्यवहार बदला बदला सा लगता है, और व्यक्तित्व में भी फर्क़ आ सकता है।
मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) दिमाग की क्षमता का निरंतर कम होना है। यह दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है। ये बदलाव स्मृति, सोच, आचरण तथा मनोभाव को प्रभावित करते हैं। एलसायमर रोग मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की सबसे सामान्य किस्म है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की अन्य किस्में हैं- नाड़ी संबंधी डिमेंशिया, लुई बाडि़स वाला डिमेंशिया तथा फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया शामिल हैं। वास्तव में मनोभ्रंश किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि के लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं।
बुजुर्ग लोगों में विटामिन डी के निचले स्तर से डिमेंशिया और अल्जाइमर के विकसित होने का खतरा दोगुना हो सकता है। यह बात एक अध्ययन में पाई गई है। अध्यनकर्ताओं ने पाया कि जिन व्यस्कों में विटामिन डी की कमी थोड़ी सी ही थी, उनमें किसी भी तरह का डिमेंशिया पैदा होने का खतरा 53 प्रतिशत था। वहीं जिनमें विटामिन डी कमी का स्तर गंभीर था, उनमें यह खतरा 125 प्रतिशत था। ऐसे ही नतीजे अल्जाइमर बीमारी के बारे में भी पाए गए। कम कमी वाले समूह में इस बीमारी का खतरा 69 प्रतिशत था जबकि गंभीर रूप से विटामिन डी की कमी वाले लोगों में इसका प्रतिशत 122 प्रतिशत था। इस अध्ययन में 65 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के उन 1 हजार 658 व्यस्कों का अध्ययन किया गया, जो अध्ययन की शुरूआत के समय बिना किसी मदद के चल सकते थे, डिमेंशिया, हृदय संबंधी बीमारी और आघात से मुक्त थे। इन लोगों में इस बात का अध्ययन छह साल तक किया गया कि किस-किस में अल्जाइमर या डिमेंशिया की दूसरी किस्में देखने को मिलती हैं।