सामान्य ज्ञान

यजीदी
09-Sep-2020 11:50 AM
यजीदी

यजीदी एक ईश्वर में विश्वास करते हैं और मानते हैं कि उसके सात फरिश्ते दुनिया में उनकी मदद करते हैं। मोर के रूप में मलिक ताउस उनमें सबसे अहम है।  यजीदी धर्म के अनुयायी दिन में पांच बार सूर्य की तरफ मुंह करके पूजा करते हैं.ृ।  दोपहर की पूजा लालिश पहाडिय़ों की तरफ मुंह करके की जाती है, जहां उनका पवित्र मजार है।  यह जगह उसी का प्रतीक है। 
आइसिस का कहना है कि यह  अशुद्ध लोगों को इराक में नहीं रहने देंगे।  लिहाजा उन्होंने यजीदियों पर हमला बोल दिया है।  इससे पहले इन लोगों को सद्दाम हुसैन के शासनकाल में भी हमलों का सामना करना पड़ा था। ये लोग इराक छोड़ कर सीरिया की तरफ भाग रहे हैं।  सफर के लिए कई बार गधों का भी इस्तेमाल करना पड़ रहा है।  रिपोर्टें हैं कि आइसिस ने सैकड़ों यजीदियों को मार डाला है।  उनके खौफ से ईसाई भी कुर्दों के प्रभाव वाले शहर इरबील भाग रहे हैं। इराक सरकार का दावा है कि आइसिस के सदस्यों ने कई यजीदियों को जिंदा दफ्न कर दिया है, जबकि औरतों को अगवा कर लिया गया है।  बच कर भाग रहे लोगों में से कुछ ने दोहुक प्रांत में ठिकाना जमाया है। 

आम तौर पर यजीदी  इराक के उत्तर में रहते हैं, जहां कुर्दों का भी भारी प्रभाव है।  दोनों की भाषा भी लगभग एक जैसी है।  इराक से बाहर सबसे ज्यादा यजीदी यूरोपीय देश जर्मनी में रहते हैं।  इसके अलावा रूस, अर्मेनिया, जॉर्जिया और स्वीडन में भी उन्होंने शरण ली है। आइसिस के खिलाफ अमेरिका ने जहां हवाई हमले करने का फैसला किया है, वहीं कुछ देशों ने वहां मदद पहुंचाने का भी काम किया है।   
 

वरकला
वरकला केरल राज्य का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यह तिरुवनंतपुरम जिले की बाहरी सीमा पर स्थित है। यहां पर्यटकों के आकर्षण के कई स्थल हैं- जैसे मनोरम समुद्र तट, 2 हजार  वर्ष पुराना विष्णु का एक प्राचीन मंदिर तथा आश्रम- शिवगिरी मठ, जो समुद्र तट से कुछ ही दूरी पर स्थित है। 
 वरकला के निरभ्र तट पर एक शांत रिजॉर्ट है, जहां खनिज जल का एक सोता है। माना जाता है कि इस तट के जल में डुबकी लगाने से शरीर तथा आत्मा की सारी अशुद्धियां दूर हो जाती है। इसलिए इसका नाम ‘पापनाशम तट’ पड़ा।  यहां से थोड़ी दूर पर 2 हजार  वर्ष पुराना जनार्दनस्वामी मंदिर चट्टान पर बना है। समीप ही एक प्रसिद्ध शिवगिरी मठ है, जो हिंदू समाज सुधारक तथा दार्शनिक श्री नारायण गुरु (1856 - 1928) द्वारा स्थापित किया गया था। गुरु की समाधि के दर्शन के लिए हर साल शिवगिरी तीर्थयात्रा के मौसम (30 दिसम्बर से 1 जनवरी) में लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।  

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