सामान्य ज्ञान

अलप्पुझा
10-Sep-2020 3:02 PM
अलप्पुझा

अलप्पुझा को पूर्व का वेनिस कहा जाता है। इसका केरल के सामुद्रिक इतिहास में हमेशा एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। आज, यह अपने नौका दौड़, बैकवाटर छुट्टियों, समुद्री तटों, समुद्री उत्पादों और कॉयर उद्योग के लिए जाना जाता है। अलप्पुझा बीच एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। समुद्र में घुसा हुआ पोतघाट   137 साल पुराना है। विजया बीच पार्क की मनोरंजन सुविधाएं पर्यटकों को खास तौर आकर्षित करता है। यहां पास में एक लाइटहाउस भी है जो पर्यटकों को खूब लुभाता है।  
अलप्पुझा का एक अन्य आकर्षण है हाउसबोट में जल विहार (क्रूज़) करना।   आज के हाउसबोट एक अच्छे होटल की सारी सुविधाओं से युक्त होते हैं। इनमें सुसज्जित शयनकक्ष, आधुनिक टॉयलेट, आरामदेह बैठक, रसोईघर और यहां तक कि कांटे से झुक कर मछली फंसाने के लिए बालकनी की भी सुविधा होती है। पर्यटक इन हाउसबोटों से बाहर बैकवाटर का  नजारा देख सकते हैं। 

युद्ध के लिए विभिन्न प्रकार की व्यूह रचना 
हिन्दू ग्रंथों में युद्ध के लिए विभिन्न प्रकार की व्यूह रचना रची जाती थी, ताकि शत्रुओं को चारों ओर से घेर कर परास्त किया जा सके और शत्रु उनकी व्यूह को समझ भी न पाए। इस प्रकार के व्यूह रचना का उल्लेख मुख्य रूप से महाभारत के युद्ध में मिलता है। इसमें प्रमुख व्यूह रचना है-

अर्धचन्द्र व्यूह- कौरवों के गरुड़ व्यूह का मुकाबला करने के लिए महाभारत युद्ध के तीसरे दिन पांडु पुत्र अर्जुन ने अर्धचन्द्र व्यूह की रचना की थी। इसमें आधे चंद्रमा के आकार में सेना सज्जित होकर युद्ध किया करती थीं। 
चक्र व्यूह- यह व्यूह सबसे विख्यात है। गुरु द्रोण ने युद्ध के तेरहवें दिन इस व्यूह की रचना की थी। इस व्यूह को अर्जुन ही भेदना जानते थे। अर्जुन पुत्र अभिमन्यु इसे भेद तो सकते थे, लेकिन वहां से बाहर निकलने का रास्ता उन्हें पता नहीं था। कौरवों ने इसी बात का फायदा उठाया और  अभिमन्यु को इसी चक्रव्यूह में फंसा कर उसकी हत्या कर दी।
क्रौंच व्यूह- महाभारत युद्ध के दूसरे दिन युधिष्ठिर ने दृष्टद्युम्न को इस व्यूह के अनुसार सेना को सजाने का सुझाव दिया था। उड़ते हुए क्रौंच पक्षी की तरह ही इसमें सेनाओं को सुसज्जित किया गया था। 
मंडल व्यूह- भीष्म पितामह ने युद्ध के सातवें दिन कौरव सेना को इस व्यूह के अनुसार सजाया था।  इस व्यूह के बीच में भीष्म खुद खड़े हुए थे। 
चक्रशकट व्यूह- युद्ध के चौदहवें दिन द्रोण ने जयद्रथ को अर्जुन के हाथों मारे जाने से बचाने के लिए इस व्यूह की रचना की थी, लेकिन वे जयद्रथ को बचा नहीं पाए। इसमें एक चक्र होता था जिसकी शुरुआत हाथी सवारों से होती थी। 
वज्र व्यूह- महाभारत युद्ध के पहले दिन अर्जुन ने पांडव सेना को इस व्यूह के अनुसार सजाया था। इसमें सेनाएं आयताकार में फैली होती थीं और उसके बीच में मुख्य योद्धा युद्ध लड़ता था। 
 

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