सामान्य ज्ञान
डायोप्साईड एक प्रकार का उपरत्न है, जो पायरोक्सीन समूह का मैग्नेशियम, सिलिकेट खनिज है। यह उपरत्न क्रोमियम युक्त विभिन्न श्रेणियों में पाया जाता है और चमकीले रंग में उपलब्ध यह उपरत्न क्रोम डायोप्साईड कहलाता है। यहउपरत्न दूसरे उपरत्नों की अपेक्षा बहुत ही नरम होता है। यह पारदर्शी तथा पारभासी दोनों ही प्रकार से पाया जाता है। यह कांच जैसा अथवा देखने में चिकनाईयुक्त होता है। इसमें दोहरा अपवर्तन होता है। अच्छी गुणवत्ता वाले खनिज को उपरत्न के रुप में उपयोग में लाया जाता है। इसे ध्यानपूर्वक तथा बुद्धिमत्ता से तराशने पर यह बहुत ही आकर्षक उपरत्न बन जाता है। तब यह दिखने में तुरमलीन उपरत्न जैसा दिखाई देता है। यह उपरत्न वायुतत्व है।
क्रोम डायोप्साईड हरे रंग में एक सुंदर और सस्ता उपरत्न है। हरे रंग में पाए जाने वाले सभी उपरत्नों में यह सबसे कम कीमत में पाया जाता है। लेकिन क्रोम डायोप्साईड में कुछ खामियां भी हैं, जैसे यह सामान्यतया छोटे आकार में ही पाया जाता है। बड़े आकार में पाना बहुत ही दुर्लभ बात है। हरे रंग में यह उपरत्न इतने अधिक गहरे रंग में मिलता है कि कई बार यह देखने में कालपन लिए हुए लगता है जबकि वास्तविकता में यह गहरा हरा होता है। इसलिए चमकीले हरे रंग के लिए क्रोम डायोप्साईड ही सबसे उपयुक्त है। यह उपरत्न पन्ना की तरह बहुत ही बेहतर गुणवत्ता वाला है.
यह उपरत्न पूरे विश्व में छोटे खनिज रुप में पाया जाता है लेकिन व्यवसायिक तौर पर बाजारों में यह बहुत ही कम उपलब्ध है । प्रमुख रुप से यह साइबेरिया प्रदेश के यकुतिया नामक स्थान पर पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह सोवियत संघ के अन्य देशों में भी पाया जाता है। जापान, जर्मनी, आयरलैण्ड, अमेरिका तथा भारत में भी यह उपरत्न कुछ मात्रा में पाया जाता है। श्रीलंका, ब्राजील, मेडागास्कर, दक्षिण अफ्रीका, म्यांमार, पाकिस्तान, उजबेकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान आदि देश डायोप्साईड उपरत्न के लिए महत्वपूर्ण इलाके बनते जा रहे हैं।