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अफगानिस्तान ने सरकार-तालिबान वार्ता का सतर्कता के साथ स्वागत किया
13-Sep-2020 3:51 PM
अफगानिस्तान ने सरकार-तालिबान वार्ता का सतर्कता के साथ स्वागत किया

काबुल, 13 सितंबर (आईएएनएस)। अफगानिस्तान ने दोहा में काबुल सरकार और तालिबान के बीच बहुप्रतीक्षित आमने-सामने की वार्ता का बड़े पैमाने पर स्वागत किया है। हालांकि वह दशकों के संघर्ष के बाद युद्धग्रस्त देश में स्थायी शांति लाने के लिए इस जटिल प्रक्रिया के परिणाम को लेकर सतर्क है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, दोहा में शनिवार को अंतर-अफगान वार्ता हुई, जिसमें विभिन्न देशों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इनमें अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोपिंयो और पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी शामिल थे।

समारोह का उद्घाटन अफगानिस्तान के उच्च परिषद के राष्ट्रीय पुनर्गठन के अध्यक्ष अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने किया।

पूर्व खुफिया प्रमुख मोहम्मद मासूम स्टेनकेजई के नेतृत्व में 21 सदस्यीय अफगान टीम अफगानिस्तान के लंबे समय से चल रहे युद्ध का हल निकालने के लिए तालिबान प्रतिनिधिमंडल से मिल रही है।

समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राजनीतिक विश्लेषक और राज्य में दैनिक अनीस के प्रधान संपादक मोहम्मद शाकिर जरीबी ने कहा, "दोहा में अंतर-अफगान वार्ता का उद्घाटन समारोह आज अफगानिस्तान के लोगों के लिए देश में युद्ध को समाप्त करने के लिए एक सुनहरा अवसर और ऐतिहासिक दिन है।"

वार्ता को जटिल प्रक्रिया बताते हुए विश्लेषक ने कहा, "वार्ता की शुरुआत एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन पिछले 19 वर्षों में देश ने जिन मूल्यों और उपलब्धियों को हासिल किया है, उन्हें स्वीकार करना तालिबान के लिए मुश्किल है।"

एक अन्य स्थानीय पर्यवेक्षक खान मोहम्मद दानेशो ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ से कहा, "साल 2001 में क्षेत्र में तालिबान के शासनकाल के खात्मे के बाद से सरकार को मान्यता देने और महिलाओं के अधिकारों, मानवाधिकारों, प्रेस की स्वतंत्रता और अफगानिस्तान में हुई प्रगति का समर्थन करने के लिए तालिबान समूह को समझाना मुश्किल है।"

हालांकि अबदी दैनिक के प्रधान संपादक दानेशजो ने वार्ता को एक 'सुनहरा अवसर' बताते हुए कहा, "हमें देश के भविष्य के बारे में आशावादी होना चाहिए, क्योंकि युद्ध समाधान नहीं है और सरकार के साथ शांति वार्ता में तेजी लाने के लिए तालिबान अंतत: संघर्ष विराम को स्वीकार करेगा।"

उन्होंने आगे कहा, "तालिबान द्वारा 'संघर्ष विराम या हिंसा में कमी करने' को अपनाना राजनीतिक साधनों के माध्यम से देश की समस्याओं को हल करने की दिशा में इस सशस्त्र समूह की ईमानदारी के लिए एक परीक्षा हो सकती है।"

वहीं एक फेरीवाला मोहम्मद अशर ने समाचार एजेंसी सिन्हुआ से कहा, "मैं युद्ध में पैदा हुआ था, युद्ध में पला हूं, अभी भी युद्ध में जी रहा हूं और अब मुझे अपने देश में शांति लाने के लिए अफगानों के बीच वार्ता की सफलता को देखने की उम्मीद है।"

अंतर-अफगान वार्ता अमेरिका और तालिबान के बीच 29 फरवरी को कतर की राजधानी में हुए ऐतिहासिक समझौते का हिस्सा थी।

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