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शिवसेना को मजबूरी में वोट देने का कंगना का दावा फर्जी
19-Sep-2020 1:30 PM
शिवसेना को मजबूरी में वोट देने का कंगना का दावा फर्जी

‘छत्तीसगढ़’ न्यूज डेस्क
इन दिनों खबरों के घेरे में बनी हुई फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत का यह दावा कितना खरा है कि वे भाजपा समर्थक हैं, लेकिन मुम्बई में उन्हें मजबूरी में शिवसेना को वोट देना पड़ा क्योंकि दोनों पार्टियां एक गठबंधन में थी? 

एक प्रमुख समाचार वेबसाइट द क्विंट ने सारे सरकारी रिकॉर्ड देखकर इस दावे को गलत साबित किया है। इस वेबसाइट पर ऐसे ही इंटरनेट झूठ के लिए एक कॉलम है- वेबकूफ, इस कॉलम में कंगना के दावे की जांच की गई जो उन्होंने टाईम्स नाऊ टीवी चैनल पर हाल ही में किया था।

कंगना ने कहा था कि भाजपा का शिवसेना के साथ गठबंधन था और इसलिए उसे मजबूरी में शिवसेना को वोट देना पड़ा। जांच करने पर मिला है कि 2009 से 2019 के बीच, 2014 विधानसभा छोडक़र सभी चुनावों में ये दोनों पार्टियां गठबंधन में थी। 

कंगना ने यह नहीं कहा था कि वह कौन से चुनाव की बात कर रही है इसलिए इस वेबसाइट ने और कुछ दूसरे पत्रकारों ने इस दावे को चुनावी तारीखों के साथ मिलाकर परखा। इंडिया टुडे के एक पत्रकार ने बताया कि कंगना का विधानसभा क्षेत्र बांद्रा वेस्ट है, और वहां 2019 और 2014 में भाजपा उम्मीदवार ही था। इस पर कंगना ने कई ट्वीट करके पत्रकार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी और यह लिखा कि वे लोकसभा चुनाव की बात कर रही थीं, न कि विधानसभा चुनाव की। लेकिन परखने पर यह दावा भी फर्जी निकला। 

दूसरी तरफ कंगना की धमकी और उसकी हरकतों पर मुम्बई प्रेस क्लब ने भी संज्ञान लिया, और नाराजगी जाहिर की। 

द क्विंट ने चुनाव आयोग की वेबसाइट से जब कंगना की वोटर जानकारी ली और देखा कि 2009, 2014, और 2019 के विधानसभा और लोकसभा चुनावों में उसका दावा कहां सही बैठता है। 

2019 लोकसभा में कंगना के इलाके से भाजपा की पूनम महाजन उम्मीदवार थीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भी पूनम महाजन कंगना के इलाके से उम्मीद थीं। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी इस संसदीय सीट से शिवसेना का प्रत्याशी नहीं था, और भाजपा के महेश जेठमलानी उम्मीदवार थे। 

द क्विंट ने पाया कि 2019 विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां मिलकर लड़ी थीं, और उम्मीदवार भाजपा का था। 2014 के विधानसभा चुनाव में दोनों पार्टियां अलग-अलग लड़ी थीं, और शिवसेना का उम्मीदवार भाजपा के उम्मीदवार से हारा था, इसलिए कंगना किसी भी तरह शिवसेना को वोट देने मजबूर नहीं हो सकती थी। 2009 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-भाजपा मिलकर लड़े थे, और कंगना के इलाके से भाजपा के उम्मीदवार की हार हुई थी, वहां शिवसेना का उम्मीदवार ही नहीं था।
 
इसलिए पिछले 15 बरसों में एक भी चुनाव ऐसा नहीं था जब कंगना के इलाके से विधानसभा या लोकसभा चुनाव में भाजपा का उम्मीदवार न रहा हो।
ये तमाम तथ्य सामने आने के बाद कंगना ने अपने ट्विटर अकाऊंट से बहुत सारे ट्वीट तुरंत डिलिट कर दी है। (thequint)

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