राष्ट्रीय
अमरीका की जानी-मानी पत्रिका टाइम ने दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी की है, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कुछ और भारतीय नाम भी शामिल हैं।
गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, अभिनेता आयुष्मान खुराना, एचआईवी शोधकर्ता प्रोफ़ेसर रवींद्र गुप्ता और शाहीन बाग़ प्रदर्शन का चेहरा रहीं बिल्कीस बानो के नाम भी सूची में शामिल हैं। हालाँकि टाइम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिस्ट में शामिल करते हुए उनके बारे में जो संक्षिप्त लेख लिखा है, उसमें उनके बारे में तल्ख टिप्पणी की गई है।
पत्रिका ने लिखा है, लोकतंत्र के लिए मूल बात केवल स्वतंत्र चुनाव नहीं है। चुनाव केवल यही बताते हैं कि किसे सबसे ज़्यादा वोट मिले। लेकिन इससे ज़्यादा महत्व उन लोगों के अधिकारों का है, जिन्होंने विजेता के लिए वोट नहीं किया। भारत पिछले सात दशकों से दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र बना हुआ है। यहाँ की 1।3 अरब की आबादी में ईसाई, मुसलमान, सिख, बौद्ध, जैन और दूसरे धार्मिक संप्रदायों के लोग रहते हैं। ये सब भारत में रहते हैं, जिसे दलाई लामा समरसता और स्थिरता का एक उदाहरण बताकर सराहना करते हैं।
टाइम लिखता है, नरेंद्र मोदी ने इस सबको संदेह के घेरे में ला दिया है। हालाँकि, भारत में अभी तक के लगभग सारे प्रधानमंत्री 80त्न हिंदू आबादी से आए हैं, लेकिन मोदी अकेले हैं जिन्होंने ऐसे सरकार चलाई जैसे उन्हें किसी और की परवाह ही नहीं। उनकी हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने ना केवल कुलीनता को ख़ारिज किया बल्कि बहुलवाद को भी नकारा, ख़ासतौर पर मुसलमानों को निशाना बनाकर। महामारी उसके लिए असंतोष को दबाने का साधन बन गया। और दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में चला गया है।
नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से विदेशी पत्रिकाओं ने कई बार उन्हें मुखपृष्ठ पर जगह दी है और साथ ही साथ उनके कार्यकाल और कार्यशैली पर टीका-टिप्पणी की है।
टाइम ने पिछले साल भी आम चुनाव से पहले उन्हें अपने कवर पेज पर जगह दी थी, जिसे लेकर खासा विवाद हुआ था।
पत्रिका ने साथ ही लिखा था, क्या दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र मोदी सरकार को आने वाले और पांच साल बर्दाश्त कर सकता है?
उस वक्त बीजेपी ने आरोप लगाया था कि ये लेख प्रधानमंत्री मोदी की छवि को मलिन करने की एक कोशिश है। पार्टी प्रवक्ता संबित पात्रा ने तब कहा था कि 2014 में भी कई विदेशी पत्रिकाओं ने मोदी की आलोचना करने वाले लेख छापे थे।
2015 में मई के अंक में भी टाइम ने प्रधानमंत्री मोदी पर कवर स्टोरी की थी और तब उसका शीर्षक था-"Why Modi Matters".
आयुष्मान खुराना
टाइम की 100 प्रभावशाली लोगों की सूची में आयुष्मान खुराना भी शामिल हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा, टाइम मैगजीन की विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल होकर गर्व की अनुभूति हो रही है।
टाइम में आयुष्मान खुराना के बारे में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण ने संक्षिप्त लेख लिखा है।
वो कहती हैं, मैं आयुष्मान खुराना को उनकी पहली फिल्म विकी डोनर से जानती हूँ। बेशक इससे पहले भी वो अलग-अलग तरह से बॉलीवुड का हिस्सा रहे थे, लेकिन आज हम और आप उनके बारे में बात कर रहे हैं, तो उसकी वजह है वो यादगार फिल्में और उनके दमदार किरदार। जहाँ अधिकतर पुरुष अभिनेता ताकत और मर्दानगी की घिसी-पिटी भूमिकाओं में फंसे रहे, वहीं आयुष्मान ने इस धारणा को तोड़ते हुए कई चुनौतीपूर्ण किरदार निभाए वो भी कामयाबी के साथ।
बिल्कीस बानो
नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीएए के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाक़े में हुए आंदोलन का चेहरा रहीं 82 वर्षीय बिल्क़ीस बानो को भी टाइम मैग्ज़ीन ने विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में शामिल किया है।
बिल्क़ीस बानो शाहीन बाग की दादी के नाम से भी जानी जाती हैं। वे शाहीन बाग में सीएए को वापस लेने की माँग के साथ करीब 100 दिन चले प्रदर्शन में शामिल रहीं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बिल्कीस बानो उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर जिले की रहने वाली हैं। उनके पति करीब दस साल पहले गुजर गये थे जो खेती-मजदूरी करते थे। बिल्कीस बानो फिलहाल दिल्ली में अपने बहू-बेटों के साथ रहती हैं।
टाइम मैग्जीन ने बिल्कीस बानो के लिए लिखा है कि वे भारत में वंचितों की आवाज़ बनीं। वे कई बार प्रदर्शन स्थल पर सुबह आठ बजे से रात 12 बजे तक रहा करती थीं। उनके साथ हज़ारों अन्य महिलाएं भी वहाँ मौजूद होती थीं और महिलाओं का इस प्रदर्शन को प्रतिरोध का प्रतीक माना गया।
मैग्ज़ीन ने लिखा है कि बिल्क़ीस बानो ने सामाजिक कार्यकर्ताओं, ख़ासकर छात्र नेताओं को जिन्हें जेल में डाल दिया गया, उन्हें लगातार उम्मीद बंधाई और यह संदेश दिया कि लोकतंत्र को बचाये रखना कितना जरूरी है।
शाहीन बाग प्रदर्शन के दौरान एक दफ़ा भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए पर हम (मोदी सरकार) एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे। इसके जवाब में बिल्कीस बानो ने कहा था, अगर गृहमंत्री कहते हैं कि वे एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे, तो मैं कहती हूँ कि हम एक बाल बराबर भी नहीं हटेंगे।