राष्ट्रीय

पंजाब में 31 किसान संगठनों ने लॉकडाउन का आह्वान किया
23-Sep-2020 5:48 PM
पंजाब में 31 किसान संगठनों ने लॉकडाउन का आह्वान किया

चंडीगढ़, 23 सितम्बर (आईएएनएस)| पंजाब में पार्टी लाइन से ऊपर उठते हुए 31 किसान संगठनों ने 25 सितंबर को कृषि बिलों के विरोध में संयुक्त राज्यव्यापी प्रदर्शन की घोषणा की है। संगठनों ने कृषि बिल के विरोध में पूरी तरह से 'पंजाब बंद' का आह्वान किया है।

इस संबंध में निर्णय मोगा में आयोजित 31 किसान संगठनों की बैठक में लिया गया। संगठनों ने किसी भी प्रकार के राजनीतिक समर्थन नहीं लेकर इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने पर निर्णय लिया है।

किसान संगठनों ने 25 सितंबर को प्रदर्शन के बाद रणनीति पर भी चर्चा की।

यह निर्णय लिया गया कि अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सदस्य जगमोहन सिंह पटियाला प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे।

उन्होंने कहा कि किसान सरकार के इस काले कानून के खिलाफ हैं।

उन्होंने कहा, "अगर सरकार किसानों की इच्छा का सम्मान करती है तो बिलों को वापस ले।"

वहीं एनडीए की सहयोगी शिरोमणी अकाली दल ने भी मंगलवार को बिल के विरोध में 25 सितंबर को पूरे राज्य में चक्का जाम की घोषणा की है।

अकाली दल के प्रवक्ता और पूर्व मंत्री दलजीत चीमा ने कहा, "वरिष्ठ नेता अपने क्षेत्र और जिला मुख्यालय में पूर्वाह्न् 11 बजे से अपराह्न् 1 बजे प्रदर्शन की अगुवाई करेंगे।"

इसबीच, पूरे पंजाब में बुधवार को प्रदर्शन जारी है। कई जगहों पर केंद्र सरकार का पूतला भी फूंका गया।

बीकेयू (राजेवल) अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवल ने आईएएनएस से कहा, "हम सरकार को किसानों की कीमत पर कॉर्पोरेट हाउस को खुश करने का मौका नहीं देंगे। यह अबतक सरकार द्वारा लाया गया सबसे खराब बिल है और इसे एक दिन भी नहीं रहना चाहिए।"

इसी बात को दोहराते हुए बीकेयू(लाखोवाल) के महासचिव हरिंद्रर सिंह लाखोवाल ने कहा कि 31 किसान संगठनों ने अपने गुस्से का इजहार करने के लिए एक-दूसरे से हाथ मिलाया है।

उन्होंने कहा, "ये फॉर्म रिफॉर्म नहीं है, बल्कि किसानों के लिए डेथ वारंट है।"

वहीं मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अकाली दल की ओर से 25 सितंबर को ही चक्का जाम करने के निर्णय की आलोचना की है। उन्होंने कहा, "आप दिल्ली क्यों नहीं जाते और भाजपा नेता व अन्य के घर के बाहर प्रदर्शन क्यों नहीं करते हैं, जिन्होंने बेशर्मी से अपने हित के लिए पंजाब के किसानों के हित को बड़े कॉर्पोरेट हाउस को बेच दिया। अगर अकाली दल सच में किसानों की परवाह करती है तो, उसे सरकार का साथ छोड़ देना चाहिए।"

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