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नई दिल्ली, 25 सितम्बर (आईएएनएस)| भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने कृषि विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह मंडियां तोड़ने और एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) समाप्त करने की कोशिश है। भाकियू समेत कई किसान संगठनों की ओर से भारत बंद के आह्वान पर जगह-जगह किसान सड़कों पर उतरे हैं। इन विधेयकों का विरोध सबसे ज्यादा पंजाब और हरियाणा के किसान कर रहे हैं। हरियाणा में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने पंचकुला जिला स्थित पिंजोर में किसानों को संबोधित किया। इस मौके पर मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा, इन विधेयकों के जरिए इन्होंने (केंद्र सरकार) मंडियां तोड़ने और एमएसपी समाप्त करने का ढांचा खड़ा कर रखा है। उन्होंने बिहार का उदाहरण देते हुए कहा कि बिहार में किसानों को एमएसपी का फायदा नहीं मिल पाता है और आगे चलकर पंजाब और हरियाणा का भी वैसा ही हाल होगा। उन्होंने कहा कि एमएसपी पर अनाज नहीं बिकने से किसान तबाह हो जाएंगे।
भाकियू नेता ने यह बात बिहार सरकार द्वारा 2006 में समाप्त किए गए कृषि उपज विपणन समिति कानून का जिक्र करते हुए कही। गुराम सिंह ने कहा कि शुक्रवार के भारत बंद को किसान का पूरा सहयोग मिल रहा है। उन्होंने कृषि विधेयक का विरोध करते हुए कहा, इससे मंडी के आढ़ती, छोटे कारोबारी, किसान और मजदूर सभी प्रभावित होंगे और चंद लोगों को इसका फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक के जरिए केंद्र सरकार ने कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने का काम किया है।
पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष अजमेर सिंह लखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों में सोचती तो विधेयक में सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का प्रावधान किया जाता। किसानों के किसी भी उत्पाद (जिनके लिए एमएमपी की घोषणा की जाती है) की खरीद एमएसपी से कम भाव पर न हो। उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट फॉमिर्ंग के जो प्रावधान किए गए हैं उससे खेती में कॉरपोरेट का दखल बढ़ेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा मिलेगा।
कृषि विधेयक के विरोध में उत्तर प्रदेश और बिहार समेत अन्य राज्यों में भी भाकियू समेत दूसरे किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। खासतौर से विपक्षी दलों से जुड़े किसान संगठन इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।