विचार / लेख

फिर भी सोशल मीडिया तो अपना है...
26-Sep-2020 12:12 PM
फिर भी सोशल मीडिया तो अपना है...

-श्याम मीरा सिंह

जब हजारों मुस्लिम महिलाएं शाहीनबाग में अपनी पहचान और सम्मान की लड़ाई इस मुल्क के निजाम से लड़ रही थीं, तब उस लड़ाई में अपना कंधा देने के लिए पंजाब से आए सिख भाइयों ने खुली सडक़ पर लंगर लगा दिए थे। आज सिख किसान सडक़ पर हैं, आधा पंजाब सडक़ पर है, तो लंगर की जिम्मेदारी मुसलमानों ने उठा ली। पंजाब शहर के मलेरकोटला शहर में किसान संघ से जुड़े सिख किसान प्रदर्शन कर रहे थे।
 
सिख किसानों की भूख-प्यास की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेते हुए वहां के मुसलमानों ने लंगर लगाना शुरू कर दिया। मुसलमानों ने अपने सिख भाइयों का कर्ज अदा नहीं किया बल्कि वही काम किया जो इस मुल्क के जिंदा नागरिकों को करना चाहिए, शाहीनबाग के समय सिख कर रहे थे, किसान आंदोलन के समय मुसलमान कर रहे हैं।

इससे कुछ दिन पहले आपने एक खबर पढ़ी होगी जब मुस्लिमों का एक जत्था 300 च्ंिटल अनाज लेकर सिख गुरुद्वारे पहुंचा था। वह जगह भी मलेरकोटला ही थी। 1947 में जब धर्मिक नफरत अपने चरम पर थी, उस दौर में भी मलेरकोटला में कोई दंगे नहीं हुए, जबकि विभाजन के समय पंजाब सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक था चूंकि पंजाब की सीमा पाकिस्तान से मिलती है। यहां के मुस्लिम बाहुल्य परिवारों ने रहने के लिए अपने ही मुल्क हिंदुस्तान को चुना। 

लॉकडाउन के समय सिख गुरुद्वारों ने मुस्लिम मजदूरों की मदद की थी, इसकी भी खबरें आपको पढऩे को मिल जाएंगी। आज हिन्दू-मुस्लिम बहसों का माहौल इतना घृणाजनक है कि ऐसी तस्वीरें राहत देती हैं, कई बार हैरान करती हैं जबकि ये हैं एकदम सामान्य। पूरे देश को मलेरकोटला से सीखना चाहिए। यहां के मुस्लिमों से पूरी दुनिया के मुस्लिमों को सीखना चाहिए। यहां के सिखों से इस मुल्क की बहुसंख्यक आबादी को सीखना चाहिए। हिंदुस्तान मुम्बई की बड़ी बड़ी इमारतों से सुंदर नहीं है, हिंदुस्तान क्रिकेट में जीती ट्रॉफियों से सुंदर नहीं है, हिंदुस्तान अपनी खूबसूरती की कहानियां इन दो चार तस्वीरों से लेता है। आप किसी भी विदेशी से कहिए क्या अच्छा लगता है हिंदुस्तान में? तो जवाब होगा ‘कल्चर’

कल्चर जो साझी विरासत है, कल्चर जिसकी बलखायी फिजाओं में हिन्दू और मुसलमान सांस लेते हैं। लेकिन याद रखिए अगर ये तस्वीरें आपको चुभ रही हैं 
तो कोई ऐसा है जो आपको हिंदुस्तान की गलत मीनिंग सिखा रहा है, कोई है जो आपको गलत मतलब सिखा रहा है, ऐसा आदमी इस मुल्क के भले का नहीं, इन लोगों को पहचानिए, जिन्होंने धर्म की इतनी मोटी परत आपके मस्तिष्कों पर चढ़ा दी है कि एक नेता का समर्थन करते करते आप किसान विरोधी हो गए हैं।

मुझे मालूम है मीडिया ने आपके प्रदर्शन की तस्वीरें नहीं दिखाईं, मुझे मालूम है जिस मीडिया ने दीपिका के पीछे 4-4, 5-5 रिपोर्टर छोड़े हुए हैं उसने आपकी चिंताएं, आपके प्रदर्शन कवरेज करने के लिए एक भी रिपोर्टर नहीं भेजा। फिर भी सोशल मीडिया तो अपनी है, हम तो इसे अपने लोगों तक पहुंचा सकते हैं। मैं अपना काम कर रहा हूँ, आप अपना काम करते रहिए।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news