सामान्य ज्ञान
शेख़ चिल्ली का नाम सुनते ही एक गपोड़ी और मसखरे व्यक्ति की शख्सियत हमारे मन में उभरती है, उनके ढेर सारे कि़स्से मशहूर हैं। आज भी डींगे बखारने वाले को शेख चिल्ली कह दिया जाता है। शेख़ चिल्ली मुग़ल शहज़ादे और विद्वान दारा शिकोह के उस्ताद थे। माना जाता है कि दारा शिकोह ने अपने उस्ताद के जीवित रहते ही उनका मक़बरा बनवा दिया था।
हरियाणा के कुरुक्षेत्र के थानेसर इलाक़े में शेख़ चिल्ली का मक़बरा आज भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शेख़ चिल्ली की असली कहानी कुछ और ही है। कुरुक्षेत्र शहर के थानेसर इलाक़े में एक निहायत ही ख़ूबसूरत मक़बरा है, जिस पर लिखा है शेख़ चिल्ली का मक़बरा। मक़बरे की मुख्य इमारत ताजमहल की तरह संगमरमर से बनी है। ताज महल की ही तरह बड़ा सा गुंबद ऊपर और शेख़ चिल्ली की क़ब्र नीचे तह-ख़ाने में...वहां कुल छह क़ब्रें हैं, जिसमें से पांच के बारे में कोई उल्लेख यहां पर नहीं है। मुख्य द्वार पर लगे सरकारी पटल के अनुसार शेख़ चिल्ली का नाम अब्दुल रहीम अब्दुल करीम था और वह मुग़ल शहज़ादे दारा शिकोह के उस्तादों में से थे। कहा जाता है की दारा शिकोह महीनों यहां आकर रहते थे और अपने उस्ताद से सूफ़ी मत की तालीम हासिल करते थे।
भारतीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक़ दारा शिकोह (सन 1615-1659) ने यह मक़बरा वर्ष 1640 में बनवाया था, लेकिन इतिहासकारों में इसको लेकर विवाद है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ये मक़बरा शेरशाह सूरी (1472-1545) के ज़माने में बनाया गया था। इतिहास में इस मक़बरे का संबंध फिरोज़ शाह तुग़लक़ (1309-1388) से भी जोड़ा गया है। मक़बरे के चारों तरफ ख़ूबसूरत बाग़ हैं, लॉन पूरा हरा भरा है, बाहरी दीवारों पर बारह छतरियां और नौ मेहराबें बनी हैं, कऱीब ही पुराना तालाब है जो अब सूखा है, लेकिन उसे देखकर लगता है पानी लाने के लिए यहां नहरें भी बनाई गईं थीं।
यह भी माना जाता है कि शेख़ चिल्ली ने सबसे पहले मुग़ल शासन की समाप्ति की भविष्यवाणी की थी और उन्होंने दारा शिकोह को सलाह दी थी कि जो भी काम करने हैं अपने जीवन में कर लो। इसीलिए दारा शिकोह ने अपने उस्ताद के जीवित रहते ही उनके इस मक़बरे का निर्माण करवा दिया था।
ब्रह्मïर्षि देश
ऋषि या संतों की भूमि को ब्रह्मïर्षि देश कहते हैं। ऐतिहासिक तौर पर यह संस्कृत शब्द है, जिसका प्रयोग सरहिंद के पूर्व में दक्षिण में मथुरा तक पूरे गंगा और यमुना नदियों के मध्यवर्ती मैदानी क्षेत्र के लिए किया जाता था।
इसमें पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) और कौरवों तथा पांडवों के बीच हुए महाभारत रणक्षेत्र, कुरुक्षेत्र शामिल हैं। इस क्षेत्र को पवित्र भूमि ब्रह्मïवर्त से अलग समझा जाना चाहिए, जिसमें सिंधु से सरस्वती तक सात नदियां और सरहिंद नगर शामिल थे। ब्रह्मïर्षि देश 1000 ई.पू. से पहले बसा हुआ था और यह वेदों पर ब्राह्मïणों की टीकाओं और उपनिषदों पर टिप्पणियों से संबंधित है।