राष्ट्रीय

एक मृदुभाषी पूर्व सैन्य अधिकारी, दक्ष राजनेता थे जसवंत सिंह
27-Sep-2020 1:51 PM
एक मृदुभाषी पूर्व सैन्य अधिकारी, दक्ष राजनेता थे जसवंत सिंह

नई दिल्ली, 27 सितम्बर (आईएएनएस)| एक मृदुभाषी व्यक्ति, भाजपा के पूर्व नेता जसवंत सिंह भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे और जब अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के उथल-पुथल भरे दौर में पार्टी को उभारने की कोशिश कर रहे थे तो जसवंत सिंह ने इसे आगे बढ़ाने का काम किया और उनके निधन के साथ, पार्टी का उस युग का एक और निष्ठावान, कद्दावर नेता चला गया। यह देखते हुए कि वह भारतीय सेना से एक मेजर रैंक के अधिकारी के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि वह विभिन्न लोगों के साथ अपनी बैठकों में समय के बहुत पाबंद थे।

दिग्गज राजनेता का दिल्ली में आर्मी रिसर्च एंड रेफरल हॉस्पिटल में रविवार सुबह 82 वर्ष की आयु में कार्टिएक अरेस्ट से निधन हो गया।

भले ही वह एक सैन्य पृष्ठभूमि से थे, लेकिन उन्होंने न केवल रक्षा मंत्रालय का प्रभार संभाला, बल्कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में वित्त और विदेश मंत्री के पद को भी संभाला।

राजस्थान के रहने वाले जसवंत सिंह ने पहली बार 1996 में वाजपेयी सरकार में केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया। वे वाजपेयी के नेतृत्व वाली अगली सरकार (1998-2002) में विदेश मंत्री बने। बाद में, उन्हें 2002 में फिर से वित्त मंत्रालय का प्रभार दिया गया। जसवंत सिंह एक समय में तत्कालीन योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी थे।

रक्षा घोटाले में नाम आने के बाद जॉर्ज फर्नांडीस के इस्तीफे के बाद जसवंत सिंह को रक्षा मंत्री बनाया गया था।

एक दक्ष राजनेता, जसवंत सिंह मीडिया की सुर्खियों में तब आए थे जब दिसंबर 1999 में इंडियन एयरलाइंस के एक अपहृत विमान के यात्रियों की रिहाई के लिए तालिबान के साथ बातचीत करने का काम सौंपा गया था, और यात्रियों की रिहाई के बदले में वह तीन आतंकवादियों को अफगानिस्तान छोड़ने गए थे, जो विभिन्न अपराधों और 2008 मुम्बई आतंकवादी हमले के आरोपी है। यह विमान में सवार 190 यात्रियों की सुरक्षित रिहाई के एवज में एक तरह से अदला-बदली था।

भारत द्वारा 1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद, जसवंत सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी द्वारा अमेरिका को रणनीतिक वार्ता में शामिल करने के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था।

2004 में केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन से भाजपा पार्टी की हार के बाद, जसवंत सिंह ने 2004 से 2009 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता के रूप में अपनी सेवा दी थी।

2009 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की लगातार दूसरी हार के बाद चुनाव में पराजय को लेकर गहन चर्चा की मांग करते हुए एक नोट सर्कुलेट कर जसवंत विवादों में आ गए थे।

साल 2009 में पाकिस्तान के नेता मुहम्मद अली जिन्ना पर उनके द्वारा लिखी गई किताब 'जिन्ना: इंडिया-पार्टिशन-इंडिपेंडेंस' का विमोचन करने के बाद वह फिर विवादों में आ गए। उन्होंने पाकिस्तान के संस्थापक के बारे में सहानुभूतिपूर्ण अंदाज में लिखा था। बाद में, भाजपा नेता को पार्टी के भीतर हाशिए पर डाल दिया गया और आखिर में निकाल दिया गया।

बाद में उन्हें पार्टी में फिर से शामिल कर लिया गया, लेकिन 2014 में वह पार्टी से अलग हो गए। जसवंत सिंह ने भाजपा का टिकट पाने में असफल रहने के बाद भी राजस्थान के बाड़मेर से 2014 में लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन पार्टी के उम्मीदवार कर्नल सोना राम से हार गए।

2014 में आम चुनावों के ठीक बाद, जसवंत सिंह उस साल 7 अगस्त को अपने घर के बाथरूम में फिसल गए और सिर में गंभीर चोट लगी।

दिग्गज नेता के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जसवंत सिंह ने बड़ी मेहनत से देश की सेवा की - पहले एक सिपाही की तरह और फिर बाद में राजनीति के साथ लंबे जुड़ाव के दौरान की।

उन्होंने कहा, "अटलजी की सरकार में उन्होंने कई महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारियां निभाई। उन्होंने महत्वपूर्ण विभागों को संभाला और वित्त, रक्षा और विदेश मामलों की दुनिया में एक मजबूत छाप छोड़ी।"

मोदी ने कहा, "अपने स्वभाव के अनुरूप, जसवंतजी ने पिछले छह वर्षों तक साहस के साथ अपनी बीमारी का मुकाबला किया।"

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जसवंत सिंह को उनकी बौद्धिक क्षमताओं और देश की सेवा में शानदार रिकॉर्ड के लिए याद किया जाएगा। मंत्री ने कहा, "उन्होंने राजस्थान में भाजपा को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना।"

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news