सामान्य ज्ञान
एरिका चिली का एक कम्यून और एक बंदरगाह शहर है। यह चिली का सुदूर उत्तरी शहर है, दक्षिण पेरू की सीमा से केवल 18 किमी दूर स्थित हैं। वर्ष 1541 से 1821 तक ये स्पेन साम्राज्य का हिस्सा था, उसके बाद 1880 तक पेरू का और अब यह चिली का हिस्सा है।
टोंगा का राष्ट्रीय ध्वज कभी बदला नहीं जा सकता
टोंगा, आधिकारिक रूप से टोंगा राजशाही, दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित एक द्वीपमण्डल है, जिसमें 169 द्वीप है, जिनमें से 36 अबसासित हैं। राजशाही उत्तर-दक्षिण पंक्ति में लगभग 800 किलोमीटर तक फैली हुई है।
टोंगा की जलवायु उष्णकटिबन्धीय है और यहां केवल दो मौसम होते हैं, सर्दी और गर्मी। अधिकतम वर्षा फरवरी से अप्रैल तक होती है। चक्रवात का मौसम नवम्बर और मार्च तक रहता है। टोंगा का ध्वज लाल रंग का है जिसका एक कैन्टन सफेद है और उसमें लाल रंग का द्विशायिका क्रॉस है। इसे राष्ट्रीय संविधान ने 1875 में स्वीकार किया और आधिकारिक रूप से प्रतिष्ठापित किया। यह उसी वर्ष से किंगडम ऑफ़ टोंगा का ध्वज बन गया। संविधान के अनुसार राष्ट्रीय ध्वज को कभी भी बदला नहीं जा सकता।
ब्रितानी टोंगा में पहली बार 18वीं सदी के उत्तरार्ध में पहुंचे। उस समय सन् 1773 से 1777 तक कप्तान जेम्स कूक ने यहां की तीन यात्राएंं की। लगभग पचास वर्ष बाद वेस्लेयन मेथोडिस्ट मिशनरियां टोंगा आए और वहां के द्वीपों के लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तन करवाना आरम्भ कर दिया। सन् 1831 में वे वहां के सर्वोच्च प्रमुख (परमाउंट चीफ) तौफा आहऊ तुपोऊ का धर्म-परिवर्तन करने में सक्षम रहे जो 1845 में वहां के राजा बने। यह वही समय था (1840 के दशक के लगभग) जब टोंगा ने प्रथम ध्वज स्वीकार किया था। यह सभी चारों कोनों पर एक क्रॉस (लाल अथवा नीले रंग के) वाला श्वेत ध्वज था तथा इसके केन्द्र में अंग्रेज़ी अक्षर ए (लाल रंग में ) और अंग्रेज़ी अक्षर एम (लाल रंग में ) राजा के प्रतीक थे।
राजगद्दी प्राप्त करने के बाद राजा ने राष्ट्र के लिए एक नया ध्वज बनाने का फैसला लिया । वे चाहते थे कि यह ध्वज इस प्रकार होना चाहिए था जो ईसाई धर्म को निरुपित करे। उन्होंने शर्ली वाल्डेमर बेकर से मित्रता की। शर्ली वाल्डेमर बेकर यूनाइटेड किंगडम के टोंगा मिशन के सदस्य थे जो बाद में टोंगा के प्रधानमंत्री बने और उन्होंने मिलकर ध्वज निर्मित किया। यह ध्वज पहली बार 1866 में काम में लिया गया। नए संविधान ने 4 नवम्बर 1875 में तैयार और घोषित किया। इसे नये स्वरूप में संहिताबद्ध किया गया और राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकृत किया गया। संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार इस ध्वज को कभी भी परिवर्तित नहीं किया जा सकता और हमेशा टोंगा का ध्वज बना रहेगा।