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सीपीईसी ने पाकिस्तान में न तो विकास बढ़ावा दिया न रोजगार
02-Oct-2020 7:38 PM
सीपीईसी ने पाकिस्तान में न तो विकास बढ़ावा दिया न रोजगार

नई दिल्ली, 2 अक्टूबर (आईएएनएस)| वैश्विक कोरोनोवायरस महामारी ने चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) के तहत चल रही अरबों डॉलर की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के बावजूद पाक-अर्थव्यवस्था को गहरा झटका दिया है।

विश्व बैंक के अनुसार, 2018 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर लगभग 5.83 प्रतिशत थी। सीपीईसी के काफी चर्चा में रहने के बावजूद 2019 में यह घटकर 1 प्रतिशत से भी कम रह गई, जो 2018 के मुकाबले 4.80 प्रतिशत से अधिक की गिरावट है। वहीं, 2016 में पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि 5.5 प्रतिशत थी।

सीपीईसी से पाकिस्तान में आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलने के अलावा नौकरियों के अवसर प्रदान करने का अनुमान था। आंकड़े दर्शाते हैं कि जारी परियोजना के बावजूद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की गंभीर स्थिति बनी हुई है, जिसका मूल रूप से अनुमान 46 अरब डॉलर था।

चीन और सीपीईसी

महामारी के आर्थिक प्रभाव के कारण पाकिस्तान की रीपेमेंट क्षमता भी कमजोर हो गई है। चीन के शिनजियांग प्रांत के साथ बलूचिस्तान में ग्वादर पोर्ट को जोड़ने वाली परियोजना की लागत काफी बढ़ गई है, जो 62 अरब डॉलर से शुरू हुई थी।

पाकिस्तान टुडे के मुताबिक, "पाकिस्तानी महामारी ने देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है और लगभग कई व्यवसायों को दिवालियापन और आर्थिक विफलता के कगार पर पहुंचा दिया है, जबकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में महामारी के कारण हुई समस्या से उबरने की क्षमता नहीं है।"

जर्मन पब्लिक इंटरनेशनल ब्रॉडकास्टर डॉयचे वेले या डीडब्ल्यू ने कराची स्टॉक एक्सचेंज (केएसई) के पूर्व निदेशक जफर मोती के हवाले से कहा, "पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सिमट रही है, बेरोजगारी बढ़ रही है और विभिन्न क्षेत्र संकट में हैं।"

अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी रिसर्च एंड इंटरनेशनल स्टडीज के पूर्व नौकरशाह और निदेशक शक्ति सिन्हा ने कहा, "सीपीईसी तुरंत रिटर्न नहीं देगा, लेकिन इसे विफल नहीं कहा जा सकता।"

सिन्हा ने हालांकि कहा, "पाकिस्तान के बारे में चीन बहुत गंभीर है। हालांकि पाकिस्तान की जीडीपी पिछले कुछ वर्षो में कमजोर हुई है, लेकिन यह याद रखना चाहिए कि बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को फलने में समय लगता है।"

पाकिस्तान में बेरोजगारी

जबकि खान ने बार-बार कहा है कि सीपीईसी से बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होगा, तथ्य यह है कि बेरोजगारी बढ़ रही है। एक विश्लेषक ने कहा, "शिक्षित लोगों का भी बेरोजगार होना चिंता का विषय है। हालांकि इस परियोजना का उद्देश्य रोजगार प्रदान करना और विकास को बढ़ावा देना था, लेकिन ऐसा बहुत कम हो पाया। परियोजना का क्रियान्वयन चीनी द्वारा नियंत्रित किया जाता है और यह एकतरफा है। सीपीईसी के अंतर्गत अधिकांश नौकरियां चीनी लोगों को दी जाती हैं, जिससे स्थानीय लोगों में काफी नाराजगी है।"

डॉन की एक रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान देश में बेरोजगारों की संख्या 66.5 लाख तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 58 लाख था।"

सिन्हा ने कहा कि स्पष्ट रूप से, परियोजनाएं चीनियों द्वारा चलाई जाती हैं - चाहे वह प्रबंधन हो या श्रमिक। चीनियों को किसी पर भरोसा नहीं है, इसलिए यहां तक कि श्रमिक भी ज्यादातर चीनी हैं। इसके परिणामस्वरूप रोजगार सृजन नहीं हुआ है।

--आईएएनएस

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