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अगर किसी उम्मीदवार का निधन हो जाए या वह काम करने में असमर्थ हो तो राष्ट्रपति चुनाव का क्या होगा?
04-Oct-2020 9:25 AM
अगर किसी उम्मीदवार का निधन हो जाए या वह काम करने में असमर्थ हो तो राष्ट्रपति चुनाव का क्या होगा?

अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि उनकी हालत बहुत अच्छी है। ट्रम्प के ट्वीटर हैंडल से जारी होने वाले वीडियो में उन्होंने कहा कि मैं व्यापक समर्थन पर सबका आभार जताना चाहता हूं मैं वाल्टर रीड अस्पताल जा रहा हूं। फ़र्स्ट लेडी भी काफ़ी अच्छी हालत में हैं।

अब सवाल यह है कि अगर अमरीका में राष्ट्रपति चुनाव के किसी उम्मीदवार का निधन हो जाता है या वह गंभीर रूप से बीमार होकर काम करने में असमर्थ हो जाता है तो उस स्थिति में क्या होगा।

इस प्रकार की स्थिति के लिए अमरीकी क़ानून और पार्टियों के संविधान ने कुछ उपाय सुझाए हैं।

क्या चुनाव टल सकते हैं?

संभव तो है लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है। अमरीकी संविधान के अनुसार कांग्रेस को चुनाव का समय तय करने का अधिकार है। क़ानून कहता है कि हर चार साल बाद नवम्बर के पहले मंगलवार को चुनाव होंगे इस शर्त पर कि मंगलवार पहली नवंबर को न पड़ रहा हो। अमरीका में आज तक चुनाव कभी टले नहीं हैं। सेनेट में रिपब्लिकन्स और प्रतिनिधि सभा में डेमोक्रेट्स के पास बहुमत है।

चुनाव से पहले उम्मीदवार की मौत हो जाए तो क्या होगा?

दोनों पार्टियों के उसूल कहते हैं कि इस स्थिति में पार्टी के सदस्य तत्काल दूसरे उम्मीदवार का चयन करें मगर चुनाव से पहले दूसरे उम्मीदवार के चयन की प्रक्रिया के लिए जो ज़रूरी समय चाहिए वह ख़त्म हो चुका है। इस समय अमरीका में समय से पहले वोटिंग शुरू हो चुकी है और 22 लाख से अधिक वोटर अपना वोट डाल चुके हैं। बहुत से राज्यों में वोटों में किसी भी प्रकार के बदलाव की समय सीमा भी गुज़र चुकी है और 24 राज्यों में वोट वोटरों को भेजे जा चुके हैं।

इसका मतलब यह है कि वोटरों के पास अब यही रास्ता है कि वह ट्रम्प या बाइडन में किसी एक का चयन करें चाहे दोनों में से किसी एक उम्मीदवार की मौत ही क्यों न हो जाए। मगर सवाल अब भी ख़त्म नहीं होते।

अगर वोटरों ने जिसको चुन लिया है इलेक्टोरल कालेज की वोटिंग से पहले उसकी मौत हो जाती है तब क्या होगा? अमरीका में यह भी ज़रूरी होता है कि उम्मीदवार को इलेक्टोरल कालेज की वोटिंग में भी बहुमत मिले। केवल कोलम्बिया राज्य में एसा है कि वहां वोटरों की संख्या और इलेक्टोरल कालेज के वोटों की संख्या का अनुपात बिल्कुल ठीक है।

14 दिसम्बर को इलेक्टोरल कालेज की वोटिंग होगी और कुल 538 वोटों में से 270 वोट पाने वाले को विजयी माना जाएगा। वैसे तो आम तौर पर यह होता है कि हर राज्य का इलेक्टोरल कालेज उसी उम्मीदवार के पक्ष में वोटिंग करता है जिसे इस राज्य के अधिकतर वोटरों ने वोट दिया है मगर कुछ राज्यों में इलेक्टोरल कालेज को अधिकार दिया गया है कि वह राज्य में आम मतदाताओं की वोटिंग से हटकर भी अपनी इच्छा के अनुसार मतदान कर सकते हैं।

जार्ज वाशिंग्टन युनिवर्सिटी में राजनैतिक शास्त्र की विशेषज्ञ लारा ब्राउन का कहना है कि किसी उम्मीदवार की मौत हो जाने की स्थिति में उसकी पार्टी अदालत में जा सकती है और वैकल्पिक उम्मीदवार के लिए वोटिंग की बात कर सकती है मगर इस स्थिति में यह देखना होगा कि अदालत का क्या फ़ैसला होता है?

क़ानून विद जस्टिन लेविथ का कहना है कि यदि वह उम्मीदवार जीतता है जो जीवित है और मौत उसकी हुई है जिसे कम वोट मिले हैं तब तो इस स्थिति में दूसरी पार्टी मतदाताओं के फ़ैसले को चुनौती देने का रास्ता शायद न अपनाए लेकिन अगर चुनाव जीतने वाले उम्मीदवार की मौत हो जाती है तो क्या होगा?

इलेक्टोरल कालेज की वोटिंग के बाद कांग्रेस की बैठक होती है। अब नहीं पता है कि किसी उम्मीदवार की मौत हो जाने की स्थिति में कांग्रेस का क्या निर्णय होगा?

इसका मतलब यह है कि इस प्रकार की स्थिति के लिए संवैधानिक रूप से काफ़ी उलझाव है।(parstoday)

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