अंतरराष्ट्रीय
लाहौर, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) की एक खंडपीठ ने उस एक दोषी को बरी कर दिया है, जिसे साल 2014 के मार्च में ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। द एक्सप्रेस ट्रिब्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को आए इस फैसले में पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले में दोषी की संलिप्तता को साबित करने में विफल रहा है।
मामले में दोषी पाए गए सावन मसीह ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। इसमें उसके द्वारा पुलिस की जांच और अभियोजन पक्ष के आरोप पर कई आपत्तियां जताई गई थीं।
मसीह ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने कथित घटना के 35 घंटे बाद मामला दर्ज किया था, जिससे मामले में शिथिलता मालूम पड़ती है।
दायर एफआईआर में भी विरोधाभास रहे हैं। मसीह ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष शिकायतकर्ता की बातों पर भी विरोध जताया है।
मसीह ने आगे कहा कि ईशनिंदा का आरोप उन्होंने लगाया गया था, जो जमीन पर कब्जा करना चाहते थे।
लाहौर हाईकोर्ट ने ईशनिंदा मामले में दोषी को बरी किया
लाहौर, 6 अक्टूबर (आईएएनएस)| लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) की एक खंडपीठ ने उस एक दोषी को बरी कर दिया है, जिसे साल 2014 के मार्च में ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई गई थी। द एक्सप्रेस ट्रिब्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को आए इस फैसले में पीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले में दोषी की संलिप्तता को साबित करने में विफल रहा है।
मामले में दोषी पाए गए सावन मसीह ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील दायर की थी। इसमें उसके द्वारा पुलिस की जांच और अभियोजन पक्ष के आरोप पर कई आपत्तियां जताई गई थीं।
मसीह ने कोर्ट को बताया कि पुलिस ने कथित घटना के 35 घंटे बाद मामला दर्ज किया था, जिससे मामले में शिथिलता मालूम पड़ती है।
दायर एफआईआर में भी विरोधाभास रहे हैं। मसीह ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष शिकायतकर्ता की बातों पर भी विरोध जताया है।
मसीह ने आगे कहा कि ईशनिंदा का आरोप उन्होंने लगाया गया था, जो जमीन पर कब्जा करना चाहते थे।