सामान्य ज्ञान
पृथ्वी के पड़ोसी ग्रह मंगल पर पानी मिलने के बाद अब सुदूर स्थित प्लूटो पर भी बर्फ होने के संकेत मिले हैं और साथ ही उसका आसमान पृथ्वी की तरह नीला है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के वैज्ञानिकों ने न्यू हॉरिजंस अंतरिक्ष यान से मिली पहली रंगीन तस्वीरों के आधार पर यह दावा किया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लूटो की धुंध के कण भूरे और लाल रंग के हो सकते हैं लेकिन वे नीला प्रकाश बिखेर रहे हैं।
साथ ही प्लूटो पर बर्फ के कई छोटे-छोटे क्षेत्रों का पता चला है। कोलोराडो के बॉल्डर स्थित दक्षिण पश्चिम शोध संस्थान एसडब्ल्यूआरआई में न्यू हॉरिजंस के प्रमुख शोधकर्ता एलन स्टर्न के अनुसार सुदूर अंतरिक्ष में नीले आकाश की उम्मीद किसने की होगी। यह बहुत सुंदर है। इसी संस्थान के कार्ली हॉवेट ने कहा कि छोटे-छोटे कणों द्वारा सूर्य की रोशनी के बिखराव के परिणामस्वरूप आकाश नीला दिखता है। पृथ्वी पर यह काम नाइट्रोजन के छोटे कण करते हैं, प्लूटो पर वे बहुत बड़े लग रहे हैं लेकिन फिर भी वे छोटे हैं। ऐसे कणों को हम थोलिन कहते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि थोलिन कण उच्च तापमान में बनते हैं जहां पराबैंगनी किरणें टूटती हैं और आयनीकृत नाइट्रोजन तथा मीथेन कण एक दूसरे से क्रिया कर जटिल आवेशपूर्ण आयन बनाते हैं। फिर ये आपस में जुडक़र बेहद जटिल कण बनाते हैं। यह प्रक्रिया पहली बार शनि के उपग्रह टाइटन के ऊपरी वातावरण में देखी गयी थी। ये जटिल कण तब तक मिलते रहते हैं जब तक वे छोटे अणु नहीं बन जाते। इन अणुओं पर फिर गैसों की परत जम जाती है और वे वायुमंडल की सतह पर आ जाते हैं। इन्हीं अणुओं की मौजूदगी के कारण प्लूटो की सतह का रंग लाल है। साथ ही प्लूटो पर बर्फ के कई छोटे-छोटे क्षेत्रों का पता चला है। न्यू हॉरिजंस पर लगे राल्फ स्पेक्ट्रल कंपोजीशन मैपर से मिले आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है। न्यू हॉरिजंस यान अभी पृथ्वी से 3.1 अरब मील दूर है और उसकी सभी प्रणालियां सही ढंग से काम कर रही हैं।