सामान्य ज्ञान
अडूसा
11-Oct-2020 12:23 PM
अडूसा एक औषधीय पौधा है। यह भारत के प्राय: सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। अडूसा का पौधा यह सालों भर हरा भरा रहने वाला झाड़ीनुमा पौधा है जो पुराना होने पर 8-10 फीट तक बढ़ सकता है। शरद ऋतु के मौसम में इसके अग्र भागों के गुच्छों में हल्का गुलाबीपन लिए सफ़ेद रंग के फूल लगते हैं।
सारे भारत में अडूसा के झाड़ीदार पौधे आसानी से मिल जाते हैं। ये 120 से 240 सेमी ऊंचे होते हैं। अडूसा के पत्तों को कपड़ों और पुस्तकों में रखने पर कीड़ों से नुकसान नहीं पहुंचता। इसके फूल सफेद रंग के 5 से 7.5 सेमी लंबे और हमेशा गुच्छों में लगते हैं। लगभग 2.5 सेमी लंबी इसकी फली रोम सहित कुछ चपटी होती है, जिसमें चार बीज होते हैं। तने पर पीले रंग की छाल होती है। अडूसा की लकड़ी में पानी नहीं घुसने के कारण वह सड़ती नहीं है।
विभिन्न भाषाओं में नाम- संस्कृत-वासा, वासक, अडूसा, विसौटा, अरूष, हिंदी-अडूसा, विसौटा, अरूष, मराठी -अडूलसा, आडुसोगे, गुजराती -अरडूसों, अडूसा, अल्डुसो, बंगाली-वासक, बसाका, बासक,तेलुगू - पैद्यामानु, अद्दासारामू, तमिल-एधाडड, अरबी-हूफारीन, कून,पंजाबी - वांसा, अंग्रेजी-मलाबार नट, लैटिन-अधाटोडा वासिका।
अडूसा के फूल का स्वाद कुछ-कुछ मीठा और फीका होता है। पत्ते और जड़ का स्वाद कडुवा होता है। अडूसा के पौधे भारत वर्ष में कंकरीली भूमि में स्वयं ही झाडिय़ों के समूह में उगते हैं। अडूसा खुश्क तथा गर्म प्रकृति का होता है। परन्तु फूल शीतल प्रकृति का होता है। वैज्ञानिक मतानुसार, अडूसा के रासायनिक संगठन से ज्ञात होता है कि इसकी पत्तियों में 2 से 4 प्रतिशत तक वासिकिन नामक एक तिक्त एल्केलाइड होता है। इसके अतिरिक्त इंसेशियल आइल, वासा अम्ल, राल, वासा, शर्करा, अमोनिया व अन्य पदार्थ भी मिलते हैं। इसमें प्रचुर मात्रा में पोटैशियम नाइट्रेट लवण पाए गए हैं। जड़ में वासिकिन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इन्हीं घटकों के कारण अडूसा में इतने सारे उपयोगी औषधीय गुण मिलते हैं। इसलिए विभिन्न बीमारियों के उपचार में इसका इस्तेमाल किया जाता है।