सामान्य ज्ञान
मुम्बई के निकट कार्ले चैत्यगृह 1900 वर्ष पूर्व खोदकर बनाया गया था। यह चैत्यगृह दोनों तरफ़ सीधी रेखा में बने स्तम्भों के लिए प्रसिद्ध है।
इस विशाल चैत्यगृह में तीन विहार भी हैं। इसमें आगे का भाग दो मंजिला है, और नीचे के हिस्से में तीन दरवाजे हैं। ऊपर एक बरामदा है, जिसमें एक विशाल चैत्य गवाक्ष है।
इस चैत्यगृह की लम्बाई 38.25 मीटर, चौड़ाई 15.10 मीटर तथा ऊंचाई 14.50 मीटर है। चैत्यगृह के अन्दर एवं बाहर कई अभिलेख अंकित है। इसी आधार पर इसके निर्माण का समय प्रथम शताब्दी ई. का प्रारम्भिक चरण माना जाता है।
चैत्य गृह, जिन्हें प्राय: गुहा मन्दिर के नाम से भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म में बुद्ध की मूर्ति के निर्माण का विधान न होने से बुद्ध के प्रतीक के रूप में स्तूप पूजे जाते थे। पूजार्थक स्तूप को सम्भवत: चैत्य कहा जाता था। चैत्य गृह ध्यान, वन्दना आदि के लिए प्रयोग होता था। चैत्य गृहों के समीप ही भिक्षु-भिक्षुणियों के निवास के लिए विहार का भी निर्माण होता था। चैत्यों के अन्दर बने छोटे स्तूपों को दागोब कहा जाता था।