सामान्य ज्ञान
सौंफ (aniseed,fennel seed,fennel,saumph) जीरा की तरह दिखने वाला मसाला होता है। जीरा दिखने में थोड़ा काला होता है किन्तु सौंफ हरा दिखता है। सौंफ खाने में मीठा लगता है। भोजन के पश्चात माउथ फ्रैशनर के तौर सौंफ का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें भोजन पचाने की अच्छी क्षमता होती है इसलिए सौंफ का रस निकालकर उससे कई एन्जाइम भी बनाये जाते हैं।
विभिन्न भाषाओं में सौंफ को अलग - अलग नाम से जाना जाता है। इसे संस्कृत भाषा में शतपुष्प कहते हैं, बांग्ला भाषा में सौंफ को मीठा जीरा एवं मुहुरी कहा जाता है, उडिय़ा में इसे सोप तथा तमिल में शोम्बु बोला जाता है, गुजराती में इसे सोवा एवं अनिसी के नाम से जाना जाता है, पंजाबी में सौंफ को बड़ी सौंफ बोलते हैं।
सौंफ का प्रयोग सब्जी में मसाले के तौर पर किया जाता है। मसाले के तौर पर सौंफ का इस्तेमाल अचार में भी होता है। कढ़ी एवं सूप में भी लोग सौंफ का प्रयोग करते हैं। खाने में छोंका लगाने में भी सौंफ काम आता है। नमकीन चीजों के साथ ही साथ मीठी चीजों में भी उनका स्वाद बढ़ाने के लिए सौंफ मिलाया जाता है। सौंफ की तासीर ठंडी होती है इसलिए गर्मी के मौसम में ठंडई बनाते समय उसमें सौंफ भी डालते हैं। सौंफ से इत्र का भी निर्माण होता है।
चिकित्सा में सौंफ में कॉलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने की क्षमता होती है इसलिए भोजन के पश्चात सौंफ खाने की सलाह चिकित्सक भी देते हैं। भोजन के पश्चात सौंफ खाने से हाजमा भी दुरूस्त रहता है। बदहजमी होने पर सौंफ को पानी में उबालकर गुना पानी पीने से गैस एवं बदहजमी की परेशानी दूर हो जाती है।
हथेलियों एवं तलवों में जलन की शिकायत होने पर सौंफ और मिसरी मिलाकर खाने से जलन कम होती है। यूनानी चिकित्सा पद्धति में सौंफ को काफी महत्व दिया गया है। माना जाता है कि गर्भवती स्त्री खाना खाने के बाद दो चम्मच सौंफ नियमित खाएं तो उनकी संतान गोरी होगी। सौंफ खाने से श्वांसों में ताजगी बनी रहती है। यह मस्तिष्क को ठंडक प्रदान करता है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।