सामान्य ज्ञान

ओब नदी
14-Oct-2020 9:56 AM
ओब नदी

ओब नदी या ओबी नदी  उत्तरी एशिया के पश्चिमी साइबेरिया क्षेत्र की एक नदी है और दुनिया की सातवी सबसे लम्बी नदी है। येनिसेय नदी और लेना नदी के साथ यह आर्कटिक सागर में बहने वाली तीसरी महान साइबेरियाई नदी मानी जाती है। ओब की खाड़ी दुनिया की सबसे लम्बी एस्चुएरी मानी जाती है (वह क्षेत्र जहां नदी डेल्टा बनाने की बजाए समुद्री ज्वारभाटा के कारण सीधे समुद्र में विलय हो)।
ओब की शुरुआत रूस के अल्ताई क्राय प्रदेश के बियस्क शहर से 26 किमी दक्षिण-पश्चिम में बिया नदी और कतुन नदी के संगम से होती है। यह दोनों ही नदियां अल्ताई पर्वतों में शुरू होती हैं - बिया नदी तेलेत्स्कोये झील से और 700 किमी लम्बी कतुन नदी ब्येलुख़ा पर्वत के ऊपर स्थित एक हिमानी (ग्लेशियर)) से। ख़ान्ती-मान्स्यिन्स्क शहर के पास इसका विलय इरतिश नदी के साथ होता है, जो स्वयं एक महान नदी है और ओब की सबसे बड़ी उपनदी है। अगर इरतिश नदी की शुरुआत से ओब नदी के आर्कटिक सागर में विलय तक की दूरी को देखा जाए तो ओब-इरतिश की पूरी धारा 5 हजार 410 किलोमीटर  लम्बी है। ओब नदी में इरतिश के अलावा और भी नदियां विलय होती हैं, जैसे की तोम नदी, चुलयिम नदी, केत नदी, त्यिम नदी, वाख़ नदी, वासयुगन नदी और सोस्वा नदी। यहां से यह टेढ़ी-मेढ़ी होती हुई उत्तर की ओर चलती है और कारा सागर की ओब खाड़ी में जा मिलती है। 
चीन की यांग्त्से नदी और पीली नदी (ह्वांग हो) के बाद ओब-इरतिश नदी एशिया की तीसरी सबसे लम्बी नदी है। इसका जलसम्भर इलाक़ा भी विशाल है और उसका क्षेत्रफल 29 लाख 90 हजार वर्ग किमी है।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान और प्राधिकरण

आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के तहत स्थापित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान को मानव संसाधन विकास, क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण, अनुसंधान, प्रलेखन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में नीति की वकालत के लिए नोडल राष्ट्रीय जिम्मेदारी सौंपी गई है। 16 अक्टूबर, 2003 को भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के आपदा प्रबंधन राष्ट्रीय केन्द्र से उन्नत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, सभी स्तरों पर रोकथाम और तैयारियों की संस्कृति को विकसित कर और बढ़ावा देकर आपदा के प्रति सहिष्णु भारत निर्मित करने के अपने मिशन को पूरा करने हेतु तेजी से अग्रसर है।
केंद्रीय गृह मंत्री इस संस्थान के अध्यक्ष होते हैं जो 42 सदस्यों का एक सामान्य निकाय है जिनमें प्रख्यात विद्वानों, वैज्ञानिकों और चिकित्सकों के अलावा भारत सरकार और राज्य सरकारों के विभिन्न नोडल मंत्रालयों और विभागों के सचिव और राष्ट्रीय स्तर के वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीकी संगठनों के प्रमुख शामिल होते हैं। इस संस्थान का 16 सदस्यीय शासी निकाय होता है जिसके अध्यक्ष राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उपाध्यक्ष होते हैं। कार्यकारी निदेशक इस संस्थान का दिन-प्रतिदिन का प्रशासन संचालित करते हैं।
आपदा प्रबंधन (डीएम) अधिनियम, अन्य बातों के साथ, राष्ट्रीय प्राधिकरण को उसके कार्यों में सहायता प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में और सचिवों की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (एनईसी) के अंतर्गत एक राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की स्थापना का प्रावधान करता है।
इसका मुख्य कार्य आपदा प्रबंधन पर नीतियों का निर्धारण करना, राष्ट्रीय योजना का अनुमोदन करना और भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों द्वारा राष्ट्रीय योजना के अनुसार तैयार योजनाओं को मंजूरी देना है। इसके अलावा इसे और भी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। 
 

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