अंतरराष्ट्रीय
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नई दिल्ली,18 अक्टूबर | मीडिया में भारत द्वारा म्यांमार को सबमरीन देने की खबरें दिसंबर 2019 में ही आ गई थीं, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक घोषणा गुरूवार को की. आईएनएस सिंधुवीर 3000 टन की डीजल-इलेक्ट्रिक सबमरीन है. यह रूसी मूल की है और 31 साल पुरानी है. पिछले साल विशाखापत्तनम के 'हिंदुस्तान शिपयार्ड' में इसका व्यापक रूप से आधुनिकीकरण किया गया था, और इसमें कई नए उपकरण लगाए गए थे.
म्यांमार में इसे "यूएमएस मिन ये थाइन खा थू" नाम दे कर देश की नौ सेना में शामिल कर लिया गया है. सबमरीन ने हाल ही में हुई म्यांमार के जहाजी बेड़े के "बंडूला" अभ्यास में भाग भी लिया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया कि "समुद्री क्षेत्र में सहयोग भारत के म्यांमार के साथ विविध और विस्तृत सहयोग का एक हिस्सा है. ये हमारी सागर (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) परिकल्पना और हमारे सभी पड़ोसी देशों में क्षमताएं और आत्म-निर्भरता बढ़ाने की प्रतिबद्धता के भी अनुकूल है."
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— India in Myanmar (@IndiainMyanmar) October 5, 2020
Chief of Army Staff General MM Naravane and @harshvshringla, Foreign Secretary along with @AmbSaurabhKumar called on State Counsellor H.E. Daw Aung San Suu Kyi @MyanmarSC at @MOFAMyanmar NayPyiTaw on October 5, 2020. They discussed important bilateral issues. pic.twitter.com/3xnUMFCVsZ
यह नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की चीन की कोशिशों के बीच भारत द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है. भारत लगातार म्यांमार के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. इससे पहले अक्टूबर की शुरुआत में थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला दो दिन की यात्रा पर म्यांमार गए थे. यात्रा के दौरान वे म्यांमार के शीर्ष नेताओं से मिले और उनके साथ कई महत्वपूर्ण साझा कार्यक्रमों पर चर्चा की.
मीडिया में आई खबरों के अनुसार भारत इससे पहले म्यांमार को कई तरह के सैन्य हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दे चुका है, जिनमें आइलैंडर समुद्री गश्त विमान, नेवल गन-बोट और हलके टॉरपीडो से ले कर रडार, 105 एमएम की आर्टिलरी बंदूकें, मोर्टार, नाइट विजन उपकरण, ग्रेनेड लॉन्चर और राइफल तक शामिल हैं.
आसियान देशों के समूह में म्यांमार एकलौता ऐसा देश है जिसके साथ भारत के 1,600 किलोमीटर से भी लंबी जमीन पर सीमा भी है और समुद्री सीमा भी. दोनों देश अब नियमित रूप से अभ्यास, साझा समुद्री गश्त के कार्यक्रम और सैन्य स्तर पर विमर्श करते हैं. भारतीय नौसेना म्यांमार के नौसैनिकों को प्रशिक्षण भी देती है. दोनों देशों की थल सेनाओं ने मिल कर सीमा पर चरमपंथी समूहों के खिलाफ भी कार्रवाई की है.(DW)